दशगात्र पर विशेष-
दास्तांनें यूं ही खत्म नहीं होती काया चली जाती है,
परंतु छाया की माया का वजूद कायम रहता है।
डॉ सुभाष पांडे को उनके जीवन काल में अपनी काया से ऐसी माया मिली जिसकी छाया उनका परिचय बन गई है. जनसेवा के मार्ग के अनुयाई, सच्चे समाज सेवक, प्रेम, निष्ठा, कर्तव्य, क्रांति एवं निडरता की निर्झरिणी के रूप में सुभाष बाबू का परिदृश्य उभरता रहेगा. डॉक्टर पांडे समाज के वह अग्रगण्य व्यक्ति थे, जिनके सिद्धांतों, उदारता एवं जीवंत स्वभाव के आधार पर नए समाज और नई संस्कृति की रचना हो सकती है. अपने कर्तव्यों को पूरा कर डॉ पांडे अनंत यात्रा की ओर, अन्य ग्रह मंडल को आलोकित करने निकल पड़े हैं या फिर आसमान की चादर पर यादों का सितारा बनकर जगमगाने लगे हैं.
इसे भी पढ़ें: VIDEO: टूटती सांसों का हो रहा सौदा, इस अस्पताल में बिन ऑक्सीजन तड़प रहे लोग, प्रबंधन ने खड़े कर दिए हाथ !
read more: Corona Effect: Night Curfew to be Imposed in 10 Districts of Uttar Pradesh From Today
डॉ पांडे का जीवन वह अफसाना है जिसे अंजाम का मुकाम हासिल नहीं हुआ. हिमालयी वैचारिक ऊंचाइयों और चट्टानी इरादों के पर्याय रहे डॉ सुभाष पांडे की विदाई असामयिक एवं जनमानस की कोरोना जैसे विराट युद्ध के लिए समाज एवं स्वास्थ्य विभाग को पूर्ण भक्ति से समर्पित है. उनका जीवन सम्मोहन एवं किसी फिल्म दृश्य व गीत से परिपूर्ण था, जो सुरीली यादें बनकर यकीनन हमारे मस्तिष्क में चिरस्थाई छवि अंकित कर बाकी की जिंदगानी को खुशगवार रखने का जरिया बन गया.
इसे भी पढ़ें: लल्लूराम डाॅट काम मुहिम : कोरोना की डराती तस्वीरों के बीच हम मिलाएंगे उनसे, जो भरेगी आपमें साहस
सिलसिला 1956 से आरंभ होता है. साधारण मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे डॉ सुभाष पांडे बाल्यावस्था से ही चंचल स्वभाव, गीत संगीत के कद्रदान, सिने प्रेमी, बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनके पिता प्रो.जय नारायण पांडे राजनीति शास्त्र व अंग्रेजी के अध्यापक रहे. छत्तीसगढ़ अंचल में फ्रीडम मूवमेंट का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रो. जय नारायण पांडे ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में अपनी अविस्मरणीय छवि स्थापित की. मात्र 9 वर्ष की अल्प आयु में पिता की असामयिक मृत्यु ने नन्हे सुभाष को झकझोर कर रख दिया. उनके व्यक्तित्व निर्माण की धारा में उनकी माता स्वर्गीय श्याम कुमारी पांडे जी का परोक्ष योगदान रहा.
read more- Aggressiveness towards Hacking: Indian Organizations under Chinese Cyber Attack
उनका परिवार तीन पीढ़ियों से नयापारा का स्थाई निवासी है. अद्भुत तार्किक शैली और विषय की गूढता के साथ वाद विवाद प्रतियोगिता एवं गीत संगीत के प्रति उनकी असाधारण रुचि रही. सुभाष पांडे जी की ख्याति रायपुर गवर्नमेंट स्कूल के ऑलराउंडर छात्र के रूप में थी. कालांतर में उन्होंने रायपुर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की.
इस दौरान उनके स्नेही कोमल ह्रदय वाले, मासूमियत, शरारती स्वभाव की प्रभावी छाप स्मृति का पर्याय बन आनंद की अनुभूति बनी रही. साथी संगवारियो के साथ नाटिका में अनारकली की भूमिका हो या अपने सिनेमा के प्रति प्रेम से उपजे आनंद के चरमोत्कर्ष को एकमुश्त बांटने की चाहत रखते थे.
उच्च शिक्षा हेतु डॉ पांडे ने मुंबई नगरी की ओर रुख किया, जहां से उन्होंने अपने जीवन काल के उस दौर में संघर्ष, जनमानस के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण एवं वास्तविक जिंदगी में व्यावहारिक भाईचारे की चिंतनधारा के प्रत्यक्षदर्शी बने| विद्यार्थी जीवन में जिस कर्मठता का परिचय उन्होंने दिया, अंत काल तक निष्ठा का बुनियादी गुण, निडरता, समाज सेवा, कर्तव्यपरायणता उनके व्यक्तित्व की विशेषताओं को निर्भरणी के माध्यम से सतत् बहने वाली ज्ञान धारा का प्रवाह निवाध गति से जनहित में जारी रखा है.
डॉ पांडे ने शासकीय सेवा द्वारा अंचल में कुछ ऐसी मिसाल कायम की, जिस पर कलम चलाने पर फक्र महसूस होता है. राज्य विभाजन के पश्चात उन्होंने छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य सेवाओं में टीकाकरण अधिकारी होते हुए 15 वर्षों तक कमान संभाली. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पल्स पोलियो अभियान, शिशु संरक्षण अभियान, इंद्रधनुष अभियान, आयोडीन जनित रोगों से जुड़े अभियान के परिपेक्ष में अपनी उत्कृष्टता को प्रमाणित किया.
जब-जब डॉ पांडे ने मंच पर अपनी वशीकरण मंत्र वाली भाषा का प्रयोग, किया उनकी ओजस्वी वाणी, शब्द विन्यास मर्म और उस लहजे ने लोगों को वशीभूत किया. उनका विषय वस्तु पर केंद्रित अध्ययन गूढता लिए हुए था. अपने कार्यकाल में अनेकों बार प्रशस्ति प्राप्त करते हुए डॉ पांडे अलंकृत हुए एवं पदोन्नति प्राप्त कर दुर्ग क्षेत्र के सीएमएचओ के रूप में पदस्थ रहे.
कार्यकुशलता का प्रमाण देते हुए डॉ पांडे ने संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, छत्तीसगढ़ का कार्य संपादित किया. इसके पश्चात वे कोरोना नियंत्रण के राज्य नोडल अधिकारी के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहें. कोरोना से जंग के प्रथम चरण में डॉ सुभाष ने पराक्रम का परचम लहराया एवं निरंतर अपने कार्यों द्वारा जिम्मेदारियों को निभाते हुए दूसरी बार कोरोना से पीड़ित हो गए. डॉ पांडे ने चिकित्सालय में भर्ती होने के उपरांत भी अपनी कार्यालयीन जिम्मेदारियों का निर्वहन किया.
हालांकि डॉ पांडे की निष्ठा, निडरता, कर्तव्यपरायणता एवं कर्म निश्चिता का खामियाजा उनके परिजनों ने चुकाया. 14 अप्रैल 2021 को 64 वर्ष की आयु में जीवनपट की यवनिका गिरने के बाद, ऐसा प्रतीत होता है कि पृथ्वी लोक में फरिश्ते इंसानी शक्ल लिए समाज को इंसानी इबारतें सिखलाने आते हैं. डॉ सुभाष पांडे उन्हीं फरिश्तों में से एक रहे हैं. यथार्थवादी पथप्रदर्शक की यशस्वी गाथा, डॉ सुभाष पांडे चंद्रमणि की तरह चमकते रहेंगे.
लेखक-यथार्थ तिवारी
read more- Aggressiveness towards Hacking: Indian Organizations under Chinese Cyber Attack
आप खाने-पीने के शौकीन हैं? तो ये खबरें जरूर पढ़ें
1. Video: रेस्टॉरेंट स्टाइल में घर पर ही ऐसे बनाए पनीर टिक्का मसाला
2. रेस्टॉरेंट से भी टेस्टी घर में बनाएं पनीर करी, देंखे Video…
मनोरंजन की खबरें पढ़ने यहां Click करे
- Radhe का Trailer, देंखे ये जबरदस्त वीडियो…
- Katrina का डीप नेक आउटफिट देख परेशान हुए Salman Khan, देंखे Video
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
-
IPL 2021: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की जीत पर लगेगा ब्रेक, या लगाएंगे जीत का ‘चौका’
-
IPL 2021: पंजाब किंग्स की एक और हार, सनराइजर्स के जीत का खुला खाता