हरिओम श्रीवास,मस्तूरी। एक तरफ शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शासन कई महत्वकांक्षी योजना चला रही है, जिससे गरीब तबके के छात्राओं को अच्छी शिक्षा मिल सके. छात्रावास संचालित भी किया जाता है, जिसमें दूर- दराज से आकर छात्रा रहती है. लेकिन जब छात्रावास में जब सुविधा अच्छी न मिले तब आप क्यों करेंगे. ऐसा कुछ हाल है शासकीय पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास मस्तूरी का. जहां की अधीक्षिका पुष्पा वति निराला की प्रताड़ना से छात्राएं तंग आ चुकी हैं. छात्रावास में कोई भी सुविधा मुहैया नहीं हो रही है. अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि कुछ छात्राओं की तबियत भी खराब हो गई और कुछ छात्रावास छोड़ कर घर से स्कूल आने लगे हैं. छात्रावास में बिजली पानी के भोजन, आदि समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

छात्राओं ने बताया कि खाने में मीनू का पालन नहीं किया जा रहा है. अधीक्षिका की मनमर्जी चल रही है. अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है. बीते तीन दिन पहले छात्रावास में मिलने वाले भोजन में केंचुआ मिला था और दो छात्राएं बिलासपुर के सिम्स में भर्ती हैं. जिसका कलेक्टर के निर्देश पर मस्तूरी एसडीएम हॉस्पिटल पहुंच कर जायजा ली और छात्राओं ने अधीक्षिका पर प्रताड़ना के साथ दुर्व्यवहार कर गन्दी गंदी गालियां देने के साथ मारने पीटने और छात्रावास से निकालने की धमकी देने का आरोप लगा रही हैं. छात्राओं ने कई बार उच्च अधिकारियों को शिकायत कर चुके है, लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है. सुधार करना तो दूर छात्रावास में मिलने वाली भोजन की साफ सफाई भी नहीं होती हैं, कीड़े मकोड़े खाने को मजबूर हो चुके.

छात्राओं का कहना है कि अधीक्षिका मैडम के द्वारा खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था के लिए अनौपचारिक रूप से प्रत्येक छात्राओं से प्रति माह 350 रुपये लेती है हम सभी 50 लड़कियाँ है और 350 रुपये की दर से हर महीने हमसे 17 हजार रुपये लेती है, जो कि सरकारी नियमों को ताक में रखकर ऐसी उगाही करने की कोई व्यवस्था नहीं है. हमें खाना मेन्यू के हिसाब से नहीं मिलता है और सिर्फ सुबह बड़ी आलू, चना, चावल, रात में बड़ी आलू चना दाल चावल मिलता है, हरा सब्जी कभी कभार ही मिलती है. उसमे भी नाम मात्र सब्जी रहता हैं, सिर्फ दो टाइम सुबह और रात को खाना मिलता है. चाय नाश्ता कुछ भी नहीं दिया जाता है और खाना समय पर नहीं मिलता है. जिससे कई बार हम लोग भूखे ही स्कूल कॉलेज जाते है. हम सभी बहुत परेशान हैं जिस दिन भी इस तरह खाने में कीड़े मिल जाते हैं, उस दिन समझो हमारा उपवास हो जाता है, हम भूँखे ही रह जाते हैं.

वहीं अधीक्षिका पुष्पावती निराला अपने आप को पाक साबित कर करने में लगी है. उनका कहना है कि ऐसी गलती कभी कभार हो जाती है. ऐसा कहकर टाल मटोल करने लगी.