विदेश मंत्री त्रिवेंद्रम से मॉरीशस के यात्रा कर रहीं थी, इस दौरान उनका एयरक्रॉफ्ट मेघदूत का एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूट गया.   अचानक वीवीआईपी एयरक्राफ्ट मेघदूत से संपर्क टूटने की वजह से शनिवार को अथॉरिटी सकते में आ गई. मामले से जुड़े अधिकारियों का डर उस समय काफी बढ़ गया, जब सुषमा स्वराज के एयरक्राफ्ट और मॉरीशस एयर ट्रैफिक कंट्रोल का आपस में संपर्क नहीं हो पाया, जबकि सुषमा स्वराज का एयरक्राफ्ट इसके एयर स्पेस में आ चुका था.

एयर ट्रैफिक कंट्रोल का काम देखने वाली एयरपोर्ट्स अथॉरिटी इंडिया के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘हमारे समुद्री एयरस्पेस, एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने प्लेन के गुम हो जाने का ऐलान करने के लिए करीब 30 मिनट का इंतजार किया। इसके बाद फ्लाइट के मॉरीशस के एयरस्पेस में प्रवेश करने के 12 मिनट बाद मॉरीशस अथॉरिटी ने अलार्म बटन दबा दिया, क्योंकि फ्लाइट से संपर्क नहीं हो पा रहा था।’ वहीं दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय ने इस विषय में जानकारी होने की बात से इनकार किया है।

मॉरीशस ने फिर अलार्म की घोषणा की। इसका मतलब है कि विमान और उसके यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कोई जानकारी नहीं है। इसके बाद उन्होंने चेन्नै एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क किया। यह आखिरी उड़ान सूचना क्षेत्र था, जिसे “मेघदूत” एम्ब्रायर ईआरजे 135 के संपर्क में रखा गया था।
एक बार जब अलार्म की आवाज आई, सभी लोग उस प्लेन को लेकर सतर्क हो गए, जिसके लिए वह अलार्म बजाया गया था। भारतीय एटीसी ने भी वीएचएफ के जरिए प्लेन से संपर्क करने की कोशिश की।’ एयरक्राफ्ट के लिए करीब शाम 4.44 पर अलार्म बजाया गया था, और एयरक्राफ्ट के पायलट ने मॉरीशस एटीसी से 4.58 पर संपर्क किया, उसके बाद सबकी जान में जान आई। एटीसी के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि अनियमित वीएचएफ कम्युनिकेशन की वजह से समुद्री इलाकों में इस तरह की समस्या अक्सर आती है। उन्होंने बताया, ‘कभी-कभी पायलट मॉरीशस एरिया में संपर्क करने में सफल नहीं होते तो कभी भूल भी जाते हैं। समुद्री क्षेत्र में रेडार कवरेज नहीं है। सब कुछ वीएचएफ कम्युनिकेशन पर निर्भर है। जिन जगहों पर वीएचएफ कवरेज अच्छी नहीं है, उन्हें डार्क जोन कहा जाता है।’

गौरतलब है कि विदेशमंत्री सुषमा स्वराज दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर हैं.