कुमार इन्दर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी (OBC) आरक्षण को लेकर चल रहा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। ओबीसी (OBC) आरक्षण सरकार की गले की हड्डी बनता जा रहा है। वहीं अब सरकार पर भी आरोप लगने लगे हैं कि सरकार की मंशा आरक्षण देने की नहीं है। हाईकोर्ट के अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने महाधिवक्ता पुष्पेंद्र गौरव पर आरोप लगाते हुए कहा है कि एडवोकेट जनरल कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को कोर्ट में उतनी मजबूती से रखा ही नहीं। जिसका खामियाजा ओबीसी (OBC) की आबादी को भुगतना पड़ रहा है।

अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने इस मामले में एडवोकेट जनरल पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने खुद कोर्ट में हलफनामा देकर यह बात कही है कि ओबीसी का 13 प्रतिशत आरक्षण अभी होल्ड किया जाए। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार के अधिवक्ता कोर्ट में ओबीसी का 13% आरक्षण होल्ड कराने की बात कह रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कह रही है। लिहाजा यह ओबीसी वर्ग को बरगलाने की कोशिश हो रही है।

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आपको बता दें कि 8 मार्च 2019 को कंमलनाथ सरकार ने अध्यादेश लाकर प्रदेश में ओबीसी (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था। जिसे बाद में 14 जुलाई 2019 को कानून बनाकर लागू कर दिया। लेकिन आरक्षण के कुछ समय बाद ही कोर्ट में याचिका दायर करते हुए ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाने की मांग की गई। जिसपर 13 जुलाई 2021 को हाइकोर्ट में ओबीसी का बढ़ा हुआ 13 आरक्षण होल्ड करा दिया गया।

OBC को आरक्षण देने किसी भी सरकार की नहीं रही मंशा

दरअसल 1992 में सुप्रीम कोर्ट से ओबीसी (OBC) को मिले 27 प्रतिशत आरक्षण के बाद भी मध्यप्रदेश सरकार ने ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने की पहल की ही नहीं। साल 2014 में पहली बार मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुपीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने ना तो सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया ना ही ओबीसी

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क्या कहता है इंदिरा साहनी जजमेंट ?

1992 में इंदिरा साहनी जजमेंट में नौ जजों ने मिलकर फैसला दिया था कि ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जा सकता है। 9 जजों की बेंच ने अपने फैसले में ये बात भी कही थी कि कुछ जगह पर 50% से ज्यादा नहीं हो सकता लेकिन, जजमेंट में यह व्यवस्था भी की गई थी कि जहां पर ओबीसी की आबादी ज्यादा हो वहां पर जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण घटाया या बढ़ाया जा सकता है।

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