नई दिल्ली. फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई ने कोविड वैक्सीन कॉर्बेवैक्स के तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से मंजूरी मांगी है. कंपनी ने ड्रग रेगुलेटर से उन लोगों के लिए एकल बूस्टर खुराक के रूप में मंजूरी मांगी है, जिन्हें कोविशील्ड या कोवैक्सीन के टीके लग चुके हैं. यानी आने वाले समय में जिन-जिन लोगों को वैक्सीन लग गई है उन्हें अब बूस्टर लगाकर कोरोना से बचाने की तैयारी है.
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) अपनी अगली बैठक में इस बूस्टर को लेकर चर्चा कर सकती है.
कॉर्बेवैक्स के दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल यानी नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं और परिणाम इस महीने घोषित होने की संभावना है. कॉर्बेवैक्स एक प्रोटीन एंटीजन तकनीक पर आधारित वैक्सीन है. दरअसल, ऐसे कई अध्ययन सामने आए हैं, जिनमें वैक्सीन ले चुके लोगों में एंटीबॉडी घटने का संकेत मिला है और कई देश वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके लोगों को बूस्टर खुराक देने की प्रक्रिया शुरू करने वाले हैं या कर चुके हैं. बायोलॉजिकल ई ने भी इन्हीं तथ्यों को हवाला देते हुए परीक्षण की अनुमति मांगी है.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि बूस्टर खुराक के संबंध में कई अध्ययन आए हैं. उन्होंने कहा था, “अभी नई-नई सूचनाएं सामने आ रही हैं. इस पर डेटा भी सामने आ रहे हैं. हम बहुत सावधानी से इसका विश्लेषण कर रहे हैं.” भारत में भी बूस्टर डोज वैक्सीन को जमीनी स्तर उतारने के लिए फार्मा कंपनी ने अब कॉर्बेवैक्स के फेज-3 क्लिनिकल अध्ययन के लिए डीसीजीए से अनुमति लेने के लिए आवेदन जमा किया है.
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