शिखिल ब्यौहार, भोपाल। पंजाब और हरियाणा बार्डर पर बीते छह दिनों से डटे किसानों के आंदोलन को मध्य प्रदेश के किसान बल देंगे। आगामी 24 फरवरी को प्रदेश के करीब दो लाख किसानों के पहुंचाने की तैयारी किसान संगठनों ने की है। किसान नेता शिवकुमार कक्का ने बताया कि सरकार लगातार मांगों को लेकर बातचीत कर रही है। लेकिन अब यह लड़ाई आर-पार की होगी। अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे किसानों ने इस बात का समर्थन किया है कि मांग नहीं पूरी होने की दशा में देश के इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे लंबा चलने वाला यह आंदोलन होगा।

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किसान संगठनों के पदाधिकारियों ने बताया कि अब देश भर से किसान सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराएंगे। दक्षिणी राज्यों से भी इस आंदोलन का समर्थन किसान कर रहे हैं। दिल्ली में देश के अलग-अलग हिस्सों से एकजुट हो रहे किसानों को रोकने के लिए सरकार हर तरीके के हथकंडे अपना रही है। पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर किसानों पर गोली चलाई जा रही है, गोले दागे जा रहे हैं। सरकार किसानों के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है जैसा पाकिस्तानी सेना के साथ किया जाता है।

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जेल कम पड़ेगी, लेकिन आंदोलन नहीं रुकेगा

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि आंदोलन को सभी संगठनों ने समर्थन किया है। 24 फरवरी का दिन देश के लिए ऐतिहासिक होगा। तमाम जेलों को भरने के लिए किसान तैयार है। उन्होंने बताया कि यदि सरकार ने दिल्ली कूच करने से रोका तो मध्यप्रदेश में ही बड़ा मूमेंट खड़ा करने के लिए किसान तैयार है। लेकिन किसी भी स्थिति में किसान झुकने वाला नहीं है।

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पांच आयोग और 50 कमेटी की रिपोर्ट, अमल एक पर नहीं

संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता शिवकुमार कक्का जी ने कहा कि किसानों को लेकर सरकार का नजरिया सिर्फ वोट तक सीमित है। यही कारण है कि अब तक तमाम सरकारों में पांच आयोग बनाए गए। 50 कमेटी की रिपोर्ट भी सरकारी फाइलों में धूल खा रही हैं। इनमें से एक पर भी अमल नहीं किया गया। सरकार किसानों की हां में हां मिलाने का काम करती है, लेकिन मांगों को पूरा करने का माजदा नहीं रखती।

दो प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन

बीते छह दिनों से किसान पांच मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसमें तीन मांगे प्रमुख हैं। पहला न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना, दूसरी स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफारिशों को लागू करने की मांग। तीसरी मांग देश के सभी किसानों की कर्ज माफी की है। इसके अलावा भू अधिग्रहण कानून के अलावा किसानों पर लगे मुकदमों को वापस लेने की मांग है।

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किसान आंदोलन पर गर्म हुई सियासत

किसान आंदोलन को लेकर सियासी पारा भी चढ़ने लगा है। कांग्रेस ने किसानों की सभी मांगों को सही ठहराते हुए आंदोलन का समर्थन किया है। एमपी कांग्रेस महासचिव अमित शर्मा ने बताया कि किसानों को ठगने का काम केंद्र और राज्य सरकार ने किया है। लिहाजा हर स्तर पर किसान कांग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी। उधर, बीजेपी नेता दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार किसानों के हित में ही निर्णय लेती है। वार्ताओं का दौर भी जारी है। किसानों के इस आंदोलन में बाहरी असामाजिक तत्वों द्वारा हिंसक रंग दिया जा रहा है। बीजेपी ने किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील करते हुए सावधान रहने की नसीहत भी दी।

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