राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। राजधानी भोपाल में रानी कमलापति का अपमान हुआ है। दरअसल, गिन्नोरी में स्थापित मूर्ति के सामने एक युवक ने अश्लील गाने पर डांस किया। इस दौरान इसका वीडियो भी बनवाया, जो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। हालांकि यह वीडियो कब का है, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। 

बता दें कि गिन्नोरी में रानी कमलापति की भव्य मूर्ति स्थापित की गई है। यहां एक शख्स का वीडियो सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। वीडियो में देखा जा रहा है कि एक युवक मूर्ति के सामने खड़े हो गया और अश्लील डांस करने लगा। इतना ही नहीं, उसने इसे असभ्य गाने के साथ सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर दिया। मामला सामने के बाद पुलिस अज्ञात आरोपी की तलाश में जुट गई है। 

कौन थीं रानी कमलापति?  

रानी कमलापति सीहोर के सलकनपुर रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया की बेटी थीं। वह अपनी बुद्धिमत्ता और साहस के लिए जानी जाती थीं। वह एक कुशल घुड़सवार, पहलवान और धनुर्धर थीं। उन्होंने अपने पिता की सेना और अपनी महिला टीम के साथ युद्ध लड़े और आक्रमणकारियों से अपने राज्य की रक्षा की। रानी कमलापति का विवाह गिन्नौरगढ़ राज्य पर शासन करने वाले सूरज सिंह शाह के पुत्र निज़ाम शाह से हुआ था। निज़ामशाह जो बहुत बहादुर, निडर और हर क्षेत्र में कुशल था। गोंड राजा निज़ाम शाह की सात पत्नियां थीं।

राजा के भतीजी ने रानी कमलापति के पति को दिया था जहर

रानी कमलापति राजा निज़ामशाह के साथ सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही थीं। उन्होंने एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम उन्होंने नवल शाह रखा। सलकनपुर राज्य के बारी किले के जमींदार का पुत्र चैन सिंह, जो राजा निज़ामशाह का भतीजा था। यह जानने के बावजूद कि वह पहले से ही शादीशुदा थी, रानी कमलापति से शादी करना चाहता था। उसने राजा निज़ामशाह को मारने की कई बार कोशिश की जिसमें वह असफल रहा। एक दिन उसने राजा निज़ामशाह को प्रेमपूर्वक भोजन के लिए आमंत्रित किया जहाँ उसने उसके भोजन में ज़हर मिलाकर उसे मार डाला।

गरिमा और सम्मान के लिए छुपती रही कमलापति

राजा निज़ामशाह की मृत्यु की खबर से पूरे गिन्नौरगढ़ में तहलका मच गया। यह जानकर कि रानी कमलापति अकेली हैं, उन्होंने उन्हें पाने के लिए गिन्नौरगढ़ के किले पर हमला कर दिया। रानी कमलापति ने अपने कुछ वफादारों और 12 साल के बेटे नवलशाह के साथ भोपाल में बने कमलापति महल में छिपने का फैसला किया। जो उस समय सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण महल माना जाता था। कुछ दिन भोपाल में बिताने के बाद रानी कमलापति को पता चला कि भोपाल की सीमा के पास कुछ अफगानियों ने शरण ले रखी है। ये वही लोग हैं जिन्होंने जगदीशपुर (इस्लाम नगर) पर हमला करके कब्ज़ा कर लिया है। इन अफगानों का नेता दोस्त मोहम्मद खान था जो पैसे के बदले में किसी की भी तरफ से युद्ध लड़ता था। रानी कमलापति को अपने छोटे बेटे के पालन-पोषण की चिंता थी, इसलिए उन्होंने दोस्त मोहम्मद के इस कदम पर कोई आपत्ति नहीं जताई।

दोस्त मोहम्मद पूरी भोपाल रियासत पर करना चाहता था कब्ज़ा 

लेकिन दोस्त मोहम्मद पूरी भोपाल रियासत पर कब्ज़ा करना चाहता था। उन्होंने रानी कमलापति को अपने हरम (धर्म) में शामिल होने और शादी करने का प्रस्ताव दिया। जब रानी कमलापति के 14 वर्षीय पुत्र नवल शाह को दोस्त मोहम्मद खान की मंशा पता चली तो वह 100 लड़ाकों के साथ लालघाटी पर लड़ने गया। लेकिन दोस्त मोहम्मद खान ने उसे मार डाला और उस स्थान पर इतना खून-खराबा हुआ कि जमीन लाल हो गई। और इसका नाम लाल घाटी पड़ गया। युद्ध में जीवित बचे दो लड़के मनुआभान पहाड़ी पर पहुंचे और वहां से रानी कमलापति को गाढ़ा काला धुआं उड़ाकर संकेत दिया कि वे हार गए हैं और उनकी जान खतरे में है।

झील में जल समाधि लेकर बचाई इज्जत

विपरीत परिस्थिति में फंसी रानी कमलापति ने अपनी इज्जत और गरिमा बचाने के लिए बड़े तालाब के बांध का संकरा रास्ता खोल दिया। जिससे ऊपरी झील का पानी दूसरी तरफ रिसने लगा और आज इसे लोअर झील के नाम से जाना जाता है। रानी कमलापति ने अपनी सारी संपत्ति और आभूषण झील में डाल दिए। उसी में जल समाधि ले ली। जब दोस्त मोहम्मद खान अपनी सेना के साथ लाल घाटी से इस किले में पहुंचे, तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था। 

आखिरी हिंदू रानी के बाद भोपाल में नवाबों का शासन

कहा जाता है कि रानी कमलापति ने 1723 में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी और उनकी मृत्यु के बाद भोपाल में दोस्त मोहम्मद खान के नेतृत्व में नवाबों का शासन शुरू हुआ। जब तक रानी कमलापति जीवित रहीं तब तक उन्होंने किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति को भोपाल पर शासन नहीं करने दिया।

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