अमित मंकोडी, आष्टा (सीहोर)। मध्य प्रदेश के आष्टा में प्राइवेट कंपनी गेल (इंडिया) लिमिटेड के एथेन क्रैकर पेट्रोकेमिकल लगाने की सरकार ने अनुमति दे दी है। लेकिन इस बीच इसे लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। किसानों ने कहा कि वे किसी भी कीमत में यहां पर प्लांट स्थापित नहीं होने देंगे। इसे लगाने के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है। इसी के विरोध में ट्रैक्टर रैली निकाली और कहा कि चाहे उन्हें जान ही क्यों न देनी पड़े लेकिन प्लांट नहीं लगेगा। साथ ही इससे होने वाले दुष्प्रभावों को भी बताया कि अगर आष्टा में इसे लगा दिया गया तो आसपास के कई लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी ग्रसित हो सकते हैं।

गेल इंडिया के एथेन क्रैकर प्लांट का विरोध, किसानों ने निकाली विशाल रैली  

रैली के संबंध में जानकारी देते हुए हरपाल ठाकुर ने कहा कि लगभग 100 से अधिक ट्रैक्टरों के साथ आष्टा क्षेत्र में गेल इंडिया कंपनी का एथेन क्रैकर पेट्रोकेमिकल प्लांट लगाए जाने के विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। साथ ही बड़ी संख्या में पैदल चलकर गेल इंडिया कंपनी के खिलाफ रैली निकालते हुए अनुविभागी अधिकारी कार्यालय पहुंचकर अपनी मांग रखी। 

किसी भी कीमत पर नहीं लगने देंगे गेल का प्लांट 

किसानों ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर सरकारी और निजी भूमि पर गेल इंडिया का एथेन क्रैकर पेट्रोल केमिकल प्लांट नहीं लगने देंगे। दूसरी मांग किसी भी कीमत पर क्षेत्र के किसान अपनी निजी भूमि नहीं देंगे। 

एथेन क्रैकर प्लांट लगने से कैंसर का खतरा

कांग्रेस नेता भगत जी ठाकुर ने कहा कि एथेन क्रैकर प्लांट से हमारे क्षेत्र का पर्यावरण, पानी, भूमि सब प्रदूषित हो जाएगा। जिससे हमारे क्षेत्र के जनजीवन पर भयंकर रूप से विपरीत प्रभाव पड़ेगा और आने वाले समय में हमारे क्षेत्र के लोगों को कई प्रकार की बीमारियां जैसे कैंसर, फेफड़े और दिमागी हालत खराब हो सकती है। साथ ही आगे चलकर गर्भवती महिलाओं पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

कांग्रेस नेता हरपाल सिंह ठाकुर ने कहा कि इससे कोई फायदा नहीं होगा बल्कि आने वाली जनरेशन को हम जहर दे रहे हैं। हमारी दो नदी पार्वती और पपनास में गंदा वेस्ट जाएगा। साथ ही पूरा क्षेत्र खराब हो जाएगा। मुश्किल से 8 तालाब साफ़ हुए हैं। उपजाऊ जमीन पर इस तरह की योजना लेकर आए हैं, उसमें इस तरह के प्लांट लगा रहे हैं। 20 किलोमीटर के इलाके में पेड़ पौधे नहीं पनपेंगे। सीएम डॉ. मोहन यादव से इस पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस प्लांट को रोकने के लिए जो भी करना हो, वह हम करेंगे।

जानिए क्या कहते हैं बीजेपी विधायक

आष्टा में बीजेपी से विधायक गोपाल सिंह इंजीनियर ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि सरकारी जमीन पर खेती करने वाले किसान ही विरोध कर रहे हैं। अधिकतर किसान वे हैं जिनकी 80 से 90 प्रतिशत खेती सरकारी जमीनों पर है। बहुत कम हिस्से में वे निजी भूमि पर खेती करते हैं। प्रशासन सर्वे कर रहा है और जमीनों की जांच कर रहा है। जांच रिपोर्ट में सारी स्थिति साफ हो जाएगी। 

इंजीनियर ने कहा कि प्रोजेक्ट के आसपास के किसान खुद अपनी जमीनें बेचना चाहते हैं। उन्हें पता है कि उन्हें चार गुना लाभ मिलेगा। आसपास के गांवों के कई किसान मुझसे मिलने आ चुके हैं। वे सभी अपनी जमीन बेचना चाहते हैं। जो किसान सरकारी जमीन पर खेती कर रहे हैं उन्हें नुकसान होगा इसलिए वे विरोध कर रहे हैं।

कंपनी का कहना है कि परियोजना के लिए वित्तपोषण का तरीका अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है। गेल वर्तमान में विभिन्न वित्तपोषण विकल्पों का मूल्यांकन कर रहा है, और विवरण बाद में तय किए जाएंगे। इस निर्णय में परियोजना की वित्तीय व्यवहार्यता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वित्तपोषण स्रोतों पर सावधानीपूर्वक विचार करना शामिल होगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पीछे का तर्क स्पष्ट है: यह गेल के व्यवसाय विस्तार के रणनीतिक उद्देश्य के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।

कंपनी के जिम्मेदार के बयान से यह सवाल उठना लाजमी है कि अगर कोई किसान खुद अपनी जमीन बेचना चाह रहा है, तो वह आखिर आंदोलन क्यों करेगा? अब प्लांट लगेगा या नहीं, यह तो सरकार के ऊपर निर्भर करता है। लेकिन जिस उपजाऊ जमीन पर इसके लगने से प्रर्यावरण दूषित हो और लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शिकार ही जाएं, वहां इसका लगना मतलब मौत को बुलावा देना होगा।

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