मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आज सचिवालय में मक डम्पिंग जोन के सम्बन्ध में बीआरओ, एनएचआईडीसीएल और पीडब्ल्यूडी के साथ महत्वपूर्ण बैठक की. इस दौरान मुख्य सचिव ने विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गो में निर्माण के दौरान उत्सर्जित मलबे के निस्तारण के लिए पहले से चिन्हित मक डम्पिंग जोन के संतृप्त होने की दशा में उनके विस्तार की संभावनाओं के अध्ययन के निर्देश दिए.

बैठक में मुख्य सचिव ने मानसून के दौरान हुए भूस्खलन या राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण के दौरान उत्सर्जित मलबे के सुव्यवस्थित निस्तारण के लिए सभी जिलाधिकारियों को मक डम्पिंग स्थलों के लिए भूमि चिहिन्त कर प्रस्ताव शासन को भेजने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. सीएस ने जिलाधिकारियों को डम्पिंग स्थलों के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्राथमिकता से राजस्व भूमि चिहिन्त करने और राजस्व भूमि की अनुपलब्धता की दशा में वन भूमि को चिहिन्त करने के भी निर्देश दिए.

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सीएस ने मक डम्पिंग से सम्बन्धित एजेंसियों को निर्धारित डम्पिंग जोन में ही मलबे के निस्तारण के नियमों को सख्ती से पालन के निर्देश दिए. उन्होंने नियमों की अवहेलना करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के भी निर्देश दिए. इसके साथ ही उन्होंने संतृप्त डम्पिंग जोन को कम्प्रेस करने की संभावनाओं पर भी कार्य करने के निर्देश दिए. मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को चिन्हित मक डम्पिंग स्थलों पर मलबे के जमा के होने के बाद उसके उपयोग को लेकर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए. उन्होंने ऐसे डम्पिंग स्थलों पर ग्रीन पैच विकसित करते हुए बांस के पौधारोपण के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा ऐसे स्थलों पर तेजी से विकसित होने वाले वृक्षों का रोपण किया जाएगा, जो भविष्य में क्रैश बैरियर के रूप में उपयोगी सिद्ध होंगे.

सीएस ने मक डम्पिंग जोन की आवश्यकता के सम्बन्ध में लोक निर्माण विभाग, बीआरओ और एनएचआईडीसीएल को अपनी रिपोर्ट के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों के साथ समन्वय और सयुंक्त निरीक्षण के निर्देश दिए. उन्होंने एजेंसियों को डम्पिंग के सम्बन्ध में अगले पांच वर्षाे की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए चिन्हित भूमि के प्रस्ताव भेजने के भी निर्देश दिए हैं.