Rajasthan By Election: राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में रामगढ़ सीट पर चुनावी मुकाबला गरमाने लगा है। भाजपा ने रामगढ़ से सुखवंत सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है, जिनकी बगावत का इतिहास उनके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। वहीं, कांग्रेस की ओर से दिवंगत जुबेर खां के पुत्र आर्यन को मैदान में उतारने की तैयारी है। नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर है, और मतदान 13 नवंबर को होगा।

सुखवंत सिंह को मिला भाजपा का टिकट
भाजपा की ओर से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद रामगढ़ में सियासी हलचल तेज हो गई है। 2023 विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर असपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुखवंत सिंह को इस बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। शनिवार शाम को अलवर के भाजपा जिला कार्यालय पहुंचे सुखवंत सिंह ने खुद को पार्टी का सिपाही बताते हुए कहा, “केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के नेतृत्व में हम एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे।” उन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा को अपना “बड़ा भाई” बताते हुए कहा कि वे उनका आशीर्वाद लेकर रामगढ़ में कमल खिलाने का प्रयास करेंगे।
भाजपा में बगावत का साया
हालांकि, सुखवंत सिंह एकजुटता की बात कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने पार्टी में बगावत और खींचतान की आशंका है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ज्ञानदेव आहूजा के भतीजे जय आहूजा को टिकट दिया था, जिस पर सुखवंत सिंह ने असपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जय आहूजा को तीसरे स्थान पर धकेल दिया। अब, भाजपा ने सुखवंत सिंह को रामगढ़ उपचुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित किया है, जिससे पार्टी में बगावत की स्थिति पैदा होने का डर बना हुआ है।
कांग्रेस की संभावित चुनौती
कांग्रेस ने रामगढ़ उपचुनाव में सहानुभूति की लहर पर सवार दिवंगत जुबेर खां के पुत्र आर्यन को मैदान में उतारने की योजना बनाई है। कांग्रेस के उम्मीदवार की आधिकारिक घोषणा होना बाकी है, लेकिन क्षेत्र में सहानुभूति की लहर के चलते मुकाबला कड़ा होने की संभावना है।
सुखवंत सिंह की राजनीतिक पृष्ठभूमि
सुखवंत सिंह का राजनीतिक सफर 2005 में रामबास पंचायत समिति के सदस्य के रूप में शुरू हुआ था। 2009 में उन्होंने गोविंदगढ़ से पंचायत समिति का चुनाव जीतकर लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के प्रधान का पद संभाला और भाजपा से जुड़े। 2018 में उन्हें रामगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने टिकट दिया, लेकिन वे चुनाव हार गए। 2023 में टिकट न मिलने पर उन्होंने असपा से बगावत कर चुनाव लड़ा, लेकिन अब भाजपा में वापसी करते हुए उपचुनाव के लिए उन्हें उम्मीदवार घोषित किया गया है।
क्या रामगढ़ में फिर होगी बगावत?
रामगढ़ उपचुनाव में सुखवंत सिंह की उम्मीदें ज्ञानदेव आहूजा के आशीर्वाद पर टिकी हैं, लेकिन 2023 के चुनावी इतिहास को देखते हुए उन्हें पार्टी के भीतर बगावत का डर सता रहा है। क्या भाजपा एकजुट होकर रामगढ़ में जीत हासिल कर पाएगी, या फिर अंदरूनी खींचतान और बगावत पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करेगी?
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