गोविंद पटेल, कुशीनगर. पौराणिक मान्यता है कि “सौ काशी न एक बांसी”. ऐसा माना जाता है कि सौ बार काशी में स्नान करने का पुण्य एक बार बांसी में स्नान-दान करने के बराबर होता है. साथ ही ये भी माना जाता है कि देव दीपावली पर देवता भी बांसी नदी में मानव रूप धारण कर स्नान करते हैं. इसी के चलते कुशीनगर जनपद के पडरौना के बांसी नदी के बांसी और रामघाट घाट पर हजारों श्रद्धालु हर साल आस्था की डुबकी लगाई जाती है.

मान्यता है कि इसी बांसी नदी में भगवान श्रीराम ने अपनी बरात के समय स्नान-दान किया था. जिसके बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस घाट पर मेले का आयोजन होता है. इस मेले मेंआसपास के राज्य के लोग तो शामिल होते ही हैं साथ ही पड़ोसी देश नेपाल श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाकर दान-पुण्य करते हैं. भगवान से अपने घर परिवार सहित देश की सलामती और सुख समृद्धि की कामना करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन बांसी नदी में स्नान-दान का बहुत महत्त्व है.

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पहले ये मेला सवा महीने यानी 35 से 40 दिन तक चलता था. इस मेले में विशेष रूप से लोग अपने बेटियों की शादी में दिए जाने वाले घर गृहस्ती के सामान की खरीददारी करते थे. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और अवैध वसूली के चलते एक तरफ जहां मेला सिकुड़ता जा रहा है तो दूसरी तरफ अवैध वसूली से झूला, सर्कस सहित मनोरंजन के अन्य साधन वाले मेला में आने से कतरा रहे हैं. सवा महीने तक चलने वाला मेला अब 3-4 दिन ही चल पाता है.

अवैध वसूली का खेल

दबी जुबान ये भी कहा जा रहा है कि कुछ मनबढ़ किस्म के लोगों द्वारा मेले में दुकान और झूला लगाने वालों से अवैध वसूली भी की जाती है. सब कुछ जानकर प्रशासन मूकदर्शक बनकर अवैध वसूली करने वालों का तमाशा क्यों देख रहा है ये लोगों के समझ से परे है. योगी सरकार के पारदर्शिता के दावे पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं कि इस मेले में अवैध वसूली कैसे हो रही है और इन लोगों पर कार्यवाई क्यों नहीं की जा रही है?

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