गोविंद पटेल, कुशीनगर. झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे (Jhansi Medical College fire incident) के बाद कुशीनगर के जिला अस्पताल का फायर इंतजाम कितना दुरुस्त है इसका अंदाजा यहां पर लगे एक्सपायर्ड फायर सिलेंडर (Fire extinguisher) से लगा सकते हैं. जिला अस्पताल के विभिन्न वार्डो में लगाए गए फायर सेफ्टी सिलेंडर अधिकतर एक्सपायर हो चुके हैं.
पीकू वार्ड में 2017 को लगाए गए फायर सेफ्टी सिलेंडर न तो रिफिल हुए और न एक्सपायर होने के बाद बदले गए. यही हाल अन्य वार्डो का भी देखा गया. कई सिलेंडरों पर धूल मिट्टी तक जम चुकी थी. इससे आप समझ सकते हैं कि जिला अस्पताल का फायर सिस्टम कितना दुरुस्त होगा. कुशीनगर मेडिकल कॉलेज का निर्माण होने की वजह से जिला अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम काम चल रहा हैं. आलम ये है कि अगर जिला अस्पताल में किसी तरह की घटना होने पर तत्काल निपटने को लेकर जिला अस्पताल फायर सिस्टम को लेकर कितना तैयार है ये अंदाजा वहां की अव्यवस्था देखकर लगाया जा सकता है.
भगवान भरोसे मरीजों की सुरक्षा
ऐसे में अस्पताल की यह लापरवाही पर मरीजों की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं. सालों से आखिर फायर सेफ्टी सिलेंडर आखिर रिफिलिंग क्यों नहीं किया गया? जबकि रिफिलिंग के नाम पर भुगतान लगातार हो रहा है. जिम्मेदारों की लापरवाही मरीजों पर भारी पड़ सकती है. इन सबके बीच सवाल ये है कि आखिर अस्पताल प्रशासन आपातकाल स्थिति में कैसे निपटेगा? अब देखना ये है कि एक्सपायर हो चुके फायर सेफ्टी सिलेंडर कब तक बदले जाते हैं या इसी तरह मरीजों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होता रहेगा.
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