रायपुर। छत्तीसगढ़ में दिन-ब-दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या और मौत के बेहिसाब आंकड़ों की भयावह तस्वीरों के बीच यह खबर उम्मीद जगाती है. जिस दौर में संक्रमण की चपेट में आए लोगों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है, प्राइवेट अस्पताल सांसों का सौदा कर रहे हैं, सरकारों के संसाधन नाकाफी साबित हो रहे हैं, ठीक उस वक्त कुछ लोग हैं, जो सांसों को थमने से रोकने की पहल करते हुए दिन रात डटे हुए हैं. इसी में से एक कृति कोविड सेंटर है, जो बेहिसाब भयावह तस्वीरों के बीच उम्मीद की किरण बनी है. ये कोविड सेंटर सांसें लौटा रही है.

‘कृति’ दे रही जिंदगी…

दरअसल, छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित मरीजों के बढ़ते आंकड़ें थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. श्मशान में चिताओं की आग बुझ नहीं रही. लोगों के जेहन में उतर रही इन तस्वीरों ने हर तरफ मायूसी बिखेर रखी है. हर कोई खौफ के साए में जीने पर मजबूर हैं, लेकिन इस नाउम्मीदी के बीच उम्मीद की एक कोशिश सहारा बनी. खासतौर पर उन लोगों के लिए, जिनके हिस्से वक्त पर इलाज नहीं मिलना उनकी किस्मत की लकीर बनकर उतरी थी.

भयावह तस्वीरों के बीच उम्मीद की किरण…

अस्पतालों में सिमटती जगहों में जब एक कोना भी नहीं बचा, तब पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पहल की और कुछ डाॅक्टरों की टीम के साथ एक बंद पड़े कृति काॅलेज में कोविड सेंटर की शुरूआत की. कृति कोविड सेंटर आज उम्मीदों की किरण बनकर उभरा है. इस सेंटर में इस वक्त 160 कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हो चुके हैं. 58 मरीज पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं. पूरी तरह से निःशुल्क इस सेंटर का संचालन मानवता चैरिटेबल एंड वेलफेयर ट्रस्ट, अग्रवाल समाज, तेरापंथ समाज और सेवा भारती मिलकर कर रहे हैं.

यह कोविड सेंटर जरूर है, लेकिन किसी भी सुविधा संपन्न हाॅस्पिटल से कमतर नहीं है. इस सेंटर में बकायदा 8 ड्यूटी डाॅक्टर, 25 नर्सिंग स्टाॅफ और दर्जनों वार्ड बाॅय की नियुक्ति इस सेंटर के लिए की गई है. 200 बेड के इस कोविड सेंटर में 60 आक्सीजन बेड हैं. मरीजों को आक्सीजन देने के लिए पाइप लाइन लगाई गई है. 20 आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन भी सेंटर में रखे गए हैं. शहर के दस नामचीन डाॅक्टरों की एक बड़ी टीम लगातार यहां भर्ती मरीजों की मानिटरिंग कर रहे हैं.

कांटेक्टलेस रिमोट पेशेंट मानिटरिंग सिस्टम के जरिए मरीजों के हेल्थ स्टेटस पर नजर रखी जा रही है. इससे सतत निगरानी रखने और आपात स्थिति में मैनेजमेंट करने में मदद मिल रही है. इस सेंटर में मरीजों के इलाज से लेकर, उनके खाने-पीने की सारी सुविधाएं निःशुल्क मुहैया कराई जा रही है.मरीजों को योगा,प्राणायाम के साथ-साथ कैरम, शतरंग जैसे खेल खिलाने के अलावा उनके मनोरंजन के लिए फिल्में भी दिखाई जा रही है.

टूट चुकी उम्मीदों के बीच कृति बनी सहारा

कृति कोविड सेंटर में हर वर्ग के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं. यहां ना केवल रायपुर बल्कि बिलासपुर, जांजगीर चांपा, रायगढ़ के मरीजों को भी रखा गया है. निजी अस्पतालों में लाखों रूपए खर्च करने वाले मरीज भी अस्पताल छोड़कर इस सेंटर में आ रहे हैं. कोविड सेंटर में भर्ती ऐसे मरीज भी हैं, जो ठीक होने के बाद अब इस सेंटर में ही वांलिटियर्स बनकर दूसरे मरीजों की मदद कर रहे हैं. जाहिर है टूट चुकी उम्मीदों के बीच ऐसे कुछ लोग उम्मीद जगाते हैं.

ये डॉक्टर्स कर रहे देखरेख

डॉ. कमलेश अग्रवाल, डॉ. अखिलेश दुबे, डॉ जेपी शर्मा और डॉ. शैलेष खंडेलवाल, डॉ अशोक त्रिपाठी, डॉ. अंकित खंडेलवाल के नेतृत्व मे 10 डॉकटरों की टीम लगातार मरीजों की देखरेख कर रही हैं.

हर संभव सहयोग का आश्वासन

डॉ. गंभीर सिंह, डॉ. विकास अग्रवाल, डॉ. गिरीश अग्रवाल, डॉ. ऋषि अग्रवाल, डॉ. सुरेंद्र शुक्ला, डॉ. अजय अग्रवाल, डॉ. नितिन जैन, डॉ. शुभकीर्ती अग्रवाल, डॉ. तन्मय अग्रवाल, डॉ. नेहा खेतान, अपनी सेवाए दें रहें हैं. सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल और स्मार्ट सिटी कमिश्नर सौरभ कुमार ने सेंटर का निरीक्षण किया. शासन की तरफ से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया है.

  • मरीजों के लिए भांप की मशीन और नेबुलाइस (Nebulize) करने और बुडामेत इन्हेलर (Budamet Inhaler) के पूरी व्यवस्था है.
  • अगर मरीज़ की स्तिथि गम्भीर हो जाती है, तो तत्काल हमारे एंबुलेंस द्वारा उन्हें वेंटिलेटर वाले हॉस्पिटल में शिफ़्ट किया जाता है.
  • प्रतिदिन शाम को प्रबंधकों और वरिष्ठ  चिकित्सकों की बैठकें होती है, जिसमें समीक्षा और आगे की प्लानिंग, स्टाफ की ट्रेनिंग के बारे में विचार किया जाता है.
  • इसके अलावा कांउसलर की एक टीम लगातार चर्चा करके उनका मनोबल बढ़ाती है. शहर के अनेक वरिष्ठ चिकित्सक मरीजों की ऑनलाइन क्लास लेकर रोज़ सुबह शाम सलाह देते हैं. इसके अलावा मरीजों के मोबाइल पर सीधे बात करके उनकी समस्या का निराकरण करते हैं.
  • मरीज़ों के मनोरंजन के लिए लूडो, कैरम, ऑनस्क्रीन पिक्चर, धार्मिक कार्यक्रम, योगा की व्यवस्था है.
  • सेंटर में मरीजों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करने के लिए एक अलग टीम है, जो दिन में 2 बार भोजन, 2 बार नाश्ता, दूध, काढ़ा, और फल इत्यादि पहुंचाने का काम करती है.
  • दिन में 2 से 3 बार पूरे सेंटर की सफाई करने के लिए एक अलग टीम लगाई गई है. किसी भी जरूरत के लिए यह टीम मौके पे हमेशा उपलब्ध होती है.
  • यहां ऐसे गंभीर पेशेंट जिनका ऑक्सीजन लेवल 60 से नीचे चला गया था, उनको भी Venti Peep हाई फ्लो ऑक्सीजन मास्क की मदद से मरीज का ऑक्सीजन फ्लो बढ़ाकर स्वस्थ किया जा रहा है.
  • भर्ती समझदार मरीजों को अन्य मरीज़ों की सेवा के लिए ट्रेनिंग देकर volunteer बना दिया गया है, जो बाक़ी मेरीजों का सहयोग करते हैं.
  • इस सेंटर में 100 ऑक्सीजन बेड की सुविधा उपलब्ध कराएंगे.

इस सारी व्यवस्था में अग्रवाल समाज की ओर से विजय अग्रवाल, मनमोहन अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, सुमित श्रीवास्तव, चिमनलाल अग्रवाल, रजत जैन, आकाश लूथरा, शैलेश अग्रवाल, दिव्यम अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल; काइट कॉलेज के स्टाफ से नीरज देशमुख, अरविन्द यादव एवं अन्य कई लोग लगे हुए हैं.

उखड़ती, सिमटती सांसों को सहारा मिल रहा

बता दें कि शुरूआत में यह एक छोटी सी पहल थी, लेकिन कहते हैं कि बड़ी और सकारात्मक सोच नतीजे देकर जाती है, जाहिर था नतीजे वैसे ही मिले. कुछ लोगों का साथ मिला, तो वहीं उखड़ती, सिमटती सांसों को सहारा मिल रहा है.

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