प्रतीक चौहान. रायपुर. बिलासपुर की एक डॉक्टर की शादी 4 फरवरी 2018 को हुई. शादी के बाद पति उसे अपने साथ मुंबई ले गया. दोनो हनीमून में जयपुर भी गए. लेकिन कुछ दिनों बाद ही डॉक्टर ने अपने पति के पुरूषार्थ पर सवाल उठाते हुए उसके सहकर्मियों को फोन कर ये बताया कि दोनो के बीच शादी के बाद संबंध नहीं बने और उसका पति ‘गे’ है.

इसी बीच पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का भी केस दर्ज किया. लेकिन अपने ऊपर लगे इन आरोपों के कारण पति की बदनामी हुई और उसके दोस्त उसे हिन भावना से देखने लगे. जिसके बाद उन्होंने रायपुर की एक कोर्ट में अपने साथ हुई इस घटना के कारण मानहानि का केस दायर किया. जिसके बाद पत्नी और उसके अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत कोर्ट ने केस दाखिल कर आरोपियों को समन जारी किया है. ये आदेश पवन कुमार अग्रवाल, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी रायपुर की कोर्ट ने जारी किया है.

पत्नी ‘बोर्नविटा’ से दिन भर करती थी बात

कोर्ट में पक्षकार यानी अभिनव शर्मा (पति) ने बताया है कि उसकी पत्नी डॉ आकांक्षा शुक्ल से शादी के बाद वे मुंबई गए जहां उनकी जॉब थी. लेकिन वे (पत्नी) दिनभर घर में कुछ काम नहीं करती थी और घंटों ‘बोर्नविटा’ के नाम से उसके मोबाइल पर सेव नंबर पर बात करती थी. पति ने कोर्ट में बताया है कि वो नंबर उसके दोस्त डॉ विवेक उपाध्याय का है. पति ने कोर्ट में ये भी बताया कि कॉलेज के समय से दोनो के बीच प्रेम संबंध है. इसलिए उनकी पत्नी उसे बिलासपुर चलकर रहने का दबाव बनाती थी.

जबकि वे (पति) जॉब के सिलसिले में कनाडा जाना चाहते थे, जो नहीं जा पाए. इतना ही नहीं आरोपी पत्नी ने अपने पति के ऑफिस में फोन कर अपने पति के महिला मित्रों को ये भी कहा कि उसका पति गे है और दोनो के बीच शादी के बाद कोई संबंध नहीं बने है. ये बात धीर-धीरे उसके दफ्तर में फैल गई और उसे (पति को) दफ्तर में हीन भावना से देखा जाने लगा. पति ने अपनी पत्नी पर शराब पीकर हंगामा करने का भी आरोप लगाया. इतना ही नहीं उन्होंने अपना मेडिकल टेस्ट करवाकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. जिसमें डॉक्टरों ने उन्हें शारीरिक संबंध बनाने हेतु योग्य पाया है.

पति ने कोर्ट में इन्हें बनाया आरोपी

पति ने कोर्ट में अपनी पत्नी की बड़ी बहन समीक्षा दुबे, जीजा प्रशांत दुबे, बड़ा भाई मयंक शेखर शर्मा और पिता शिवराम प्रसाद शुक्ल के विरूद्ध धारा 200 दं.प्र.सं. के तहत धारा 500/34 भादवि का अपराध पंजीबद्ध किये जाने हेतु एक परिवाद प्रस्तुत किया है. जिसके बाद न्यायालय ने डॉ. आकांक्षा शुक्ल शर्मा एवं अन्य चार के विरूद्ध  मामला पंजीबद्ध कर समन जारी करने का आदेश जारी किया है.

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