रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत पखांजूर में शहीद गैंद सिंह स्मारक भवन परिसर में अमर शहीद गैंदसिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके बलिदान को याद किया. मुख्यमंत्री ने मां दंतेश्वरी के छायाचित्र की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की.

सप्तमाड़िया राज्यों में सम्मिलित तथा बस्तर की सबसे प्राचीन राजधानी माने जाने वाले परलकोट के जमीदार एवं भूमिया राजा की उपाधि प्राप्त गैंदसिंह ने बस्तर में सितरम (परलकोट) में सुंदर महल का निर्माण भी कराया था, जिसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं. एक वर्ष तक चले सुनियोजित संघर्ष के बाद 10 जनवरी 1825 को गैंदसिंह को गिरफ्तार कर उन्हीं के महल के सामने अंग्रेजी सरकार ने 20 जनवरी 1825 को फांसी दे दी थी.


मांदरी, हल्बी नृत्य से किया सीएम का स्वागत
मुख्यमंत्री के आगमन पर नर्तक दल ने मनमोहक मांदरी नृत्य, बालिकाओं ने हल्बी नृत्य और महिलाओं ने धनकुल गीत प्रस्तुत कर मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया. साथ ही आदिवासी समाज के प्रमुखों ने पगड़ी पहनाकर मुख्यमंत्री को सम्मानित किया. उन्होंने मुख्यमंत्री को पारंपरिक वाद्ययंत्र ‘तोड़ी’ भेंट किया. कार्यक्रम स्थल में उपस्थित आदिवासी महिलाओं ने मुख्यमंत्री को हाथ से कूटा चिवड़ा, तेंदू, चार तथा नागर कांदा, कोचई कांदा, डांग कांदा और केऊ कांदा भेंट किए. मुख्यमंत्री ने भेंट स्वरूप मिले उपहारों के लिए सभी का धन्यवाद किया.

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महिलाओं ने गाए लोकगीत
धनकुल हल्बा समाज की महिलाओं ने पारंपरिक लोकगीत गाया. धनकुल गीत तीजा पर्व, फसल कटाई, फसल बुआई जैसे खुशी के अवसरों पर गाया जाता है. यह अलिखित महाकाव्य है, जिसकी प्रस्तुति लंबी अवधि तक दी जा सकती है. इस गीत की खासियत है कि इसमें मिट्टी की हांडी, सूपा, धनुष, पैरा से बनी घिरनी, खिरनी काड़ी जैसी दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं का वाद्ययंत्र के रूप में उपयोग किया जाता है. देवी-देवताओं के आह्वान से धनकुल गीत की शुरुआत की जाती है.