नई दिल्ली। वामपंथी उग्रवादियों के आय के स्रोतों को निष्प्रभावी करना बेहद ज़रूरी है. केन्द्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों को मिलकर एक व्यवस्था बनाकर इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए. यह बात केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, गृहमंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कही.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वामपंथी उग्रवाद की समस्या को अगले एक साल तक प्राथमिकता दें, जिससे इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए दबाव बनाने, गति बढ़ाने और बेहतर समन्वय की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि दशकों की लड़ाई में हम एक ऐसे मुकाम पर पहुंचे हैं, जिसमें पहली बार मृत्यु की संख्या 200 से कम है. यह हम सबकी साझा और बहुत बड़ी उपलब्धि है.

उन्होंने कहा कि जब तक हम वामपंथी उग्रवाद की समस्या से पूरी तरह निजात नहीं पाते तब तक देश का और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों का पूर्ण विकास संभव नहीं है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती पर होने वाले राज्यों के स्थायी ख़र्च में कमी लाने के निर्णय की वजह से वर्ष 2018-19 के मुक़ाबले 2019-20 में राज्यों के ख़र्च में लगभग 2900 करोड़ रुपए की कमी आई है.

अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार कई सालों से राजनीतिक दलों पर ध्यान दिये बिना दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ती रही है, जो हथियार छोड़कर लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं, उनका दिल से स्वागत है. लेकिन जो हथियार उठाकर निर्दोष लोगों और पुलिस को आहत करेंगे, उनको उसी तरह जवाब दिया जाएगा. असंतोष का मूल कारण आ ज़ादी के बाद 6 दशकों में विकास ना पहुंच पाना है, और नक्सली भी ये बात समझ चुके हैं.

उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव कम से कम हर तीन महीने में पुलिस महानिदेशक और केन्द्रीय एजेंसियों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करें, तभी हम इस लड़ाई को आगे बढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में जिन क्षेत्रों में सुरक्षा पहुंच नहीं थी, वहां सुरक्षा कैंप बढ़ाने का काफी बड़ा और सफल प्रयास किया गया है, विशेषकर छत्तीसगढ़ में, साथ ही महाराष्ट्र और ओडिशा में भी सुरक्षा कैंप बढ़ाए गए हैं.

शाह ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के स्तर पर नियमित समीक्षा की जाती है, तो निचले स्तर पर समन्वय की समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि जिस समस्या के कारण पिछले 40 वर्षों में 16 हज़ार से अधिक नागरिकों की जान गई हैं, उसके ख़िलाफ़ लड़ाई अब अंत तक पहुंची है और इसकी गति बढ़ाने और इसे निर्णायक बनाने की ज़रूरत है.

समीक्षा बैठक में केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा, दूरसंचार, सूचना-प्रौद्योगिकी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह और केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी उपस्थित थे. बैठक में बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और झारखंड के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल के वरिष्ठ अधिकारी, केन्द्रीय गृह सचिव, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी और केन्द्र तथा राज्य सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.