कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। इन दिनों पूरे प्रदेश में OBC वर्ग पर जमकर सियासत हो रही है. ग्वालियर में इसी वर्ग से जुड़ा एक बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है. ग्वालियर के शासकीय जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज में आरक्षण नियमों को ताक पर रखते हुए नर्सिंग भर्ती का घोटाला किया गया. जिसके चलते OBC वर्ग के उम्मीदवार नौकरी से वंचित हो गए. आरोप है कि मेडिकल कॉलेज के डीन के संरक्षण में यह पूरा घोटाला हुआ है. चिकित्सा शिक्षा विभाग की जांच में भी भर्ती अनियमितताओं की पुष्टि हुई, लेकिन दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जबकि ऐसे ही नर्सिंग भर्ती से जुड़े मामले में दतिया मेडिकल कॉलेज में कार्रवाई देखने को मिली और डीन को हटा दिया गया. ऐसे में आखिर क्यों ग्वालियर मेडिकल कॉलेज नर्सिंग भर्ती घोटाले पर एक्शन देखने नहीं मिल रहा है.

किस तरह लिखी गई भ्रष्टाचार की इबारत

  • ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज में 204 नर्सिंग भर्ती के लिए 8 मार्च 2021 को पहला नोटिफिकेशन जारी किया गया.
  • एमपी ऑनलाइन के जरिए 12 मई 2021 को संशोधित नोटिफिकेशन जारी हुआ.
  • 204 नर्सिंग पद में से 93 पद एसटी कैटेगरी, 7 पद एससी कैटेगरी, 88 पद ओबीसी कैटेगरी, 16 पद आर्थिक रूप से कमजोर कैटेगरी और 00 पद अनारक्षित कैटेगरी की जगह निकाली गई.
  • एमपी ऑनलाइन के द्वारा परीक्षा संपन्न कराने के बाद परिणाम के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार हुई.
  • अनारक्षित UR का कट ऑफ नम्बर 57,OBC का 61,ST का 59,SC का 50 गया.
  • कट ऑफ नंबर के आधार पर स्क्रुटनी के लिए UR, EWS,SC, ST के उम्मीदवारों की स्क्रूटनी और दस्तावेजों के परीक्षण के लिए तारीख जारी की गई, मेरिट बनाई गई.
  • जबकि ओबीसी कैटेगरी के उम्मीदवारों की बिना स्क्रुटनी किए मेरिट लिस्ट जारी कर दी गई.
  • यहीं से शुरू हुई जीआरएमसी की नर्सिंग भर्ती घोटाले की कहानी.

6 अगस्त 2021 को जब गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा सभी केटेगरी के लिए स्क्रुटनी की तारीख जारी की गई. लेकिन उस दौरान ओबीसी कैटेगरी के लिए कोई तारीख और समय जारी नहीं हुआ. यहीं से इस नर्सिंग भर्ती घोटाले की कहानी जब शुरू हुई तो इसने बड़ी संख्या में ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों की नौकरी को छीन लिया. ओबीसी महासभा ने जब इसकी शिकायत चिकित्सा शिक्षा विभाग मैं की तो हड़कंप मच गया. आइए आपको बताते हैं कि फिर कैसे पत्राचार के जरिये सवाल और उसके जवाब का दौर शुरू हुआ. दतिया मेडिकल कॉलेज के डीन पर कार्रवाई हुई, लेकिन ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन पर कोई एक्शन नहीं हुआ. यही वजह रही कि  ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को न्याय नहीं मिला.

  • 24 नवंबर 2021 को सचिव सह आयुक्त चिकित्सा शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन ने ग्वालियर के संभाग आयुक्त को पत्र के जरिए ग्वालियर मेडिकल कॉलेज और दतिया मेडिकल कॉलेज मैं स्टाफ नर्स पदों की भर्ती में अनियमितता के संबंध में जवाब मांगा.
  • 25 नवंबर 2021 को संभाग आयुक्त ग्वालियर द्वारा गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता को पत्र भेजकर 4 दिन में भर्ती घोटाले के संबंध में जवाब मांगा.
  • ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन ने संभागायुक्त को भेजे पत्र में इसे भर्ती के दौरान अनियमितता नहीं माना और इसे भूलबस गलती बताया.
  • गलती को सुधारने ओबीसी वर्ग के 20 उम्मीदवारों के भविष्य को दांव पर लगा दिया और साल 2029 में नियुक्ति देने की पत्र में बात कही.
  • ऐसी ही लापरवाही और भ्रष्टाचार को सही पाते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 14 दिसंबर 2021 दतिया मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ राजेश गौर को पद से हटाया लेकिन ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

नर्सिंग भर्ती भ्रष्टाचार की शिकायत, उसकी जांच और जांच में गड़बड़ी के बाद भी ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता पर कार्रवाई नहीं होने के चलते ओबीसी महासभा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र के जरिए शिकायत की है. डॉ समीर गुप्ता के खिलाफ विशेष जांच के साथ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है, ओबीसी महासभा का कहना है कि ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन के संरक्षण में हुए भ्रष्टाचार के दौरान रिजर्वेशन रोस्टर में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है.

शासन की जांच में भ्रष्टाचार साबित भी हुआ है, लेकिन एक ओर जहां दतिया मेडिकल कॉलेज के डीन को पद से हटाया गया, लेकिन ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन पर कोई कार्रवाई नहीं होना कहीं ना कहीं उन पर सरकार की मेहरबानी को दर्शा रहा है. ऐसे में उनका यह भी कहना है कि यदि ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता के खिलाफ सरकार एक्शन नहीं लेती है तो ओबीसी महासभा के बैनर तले आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन करने, न्यायालय की दहलीज को खटखटाने के साथ ही 2023 में सरकार को सबक सिखाने का भी विचार किया जाएगा.

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ओबीसी महासभा के आरोपों, चिकित्सा शिक्षा विभाग की जांच के दौरान नर्सिंग भर्ती में भ्रष्टाचार की पुष्टि होने पर ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता से जब सवाल किया गया तो उनका कहना है कि नर्सिंग भर्ती को लेकर कमेटी बनाई गई थी जिसके संयुक्त रूप से लिए गए निर्णय के बाद स्टाफ नर्स पद पर नियुक्तियां दी गई है. ओबीसी वर्ग के कुछ उम्मीदवार नौकरी से वंचित ना हो ऐसे में उन्हें 2029 तक नौकरी दे दी जाएगी. ऐसे में चिकित्सा शिक्षा विभाग की जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता ओबीसी वर्ग के योग्य उम्मीदवारों के भविष्य को चौपट होते हुए देखने के वावजूद खुद को गलत नहीं मान रहे हैं.

यह पूरा भ्रष्टाचार ओबीसी कैटेगरी से जुड़ा हुआ है ऐसे में सियासत होना तो लाजमी है. यही वजह है कि पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा के द्वारा विधानसभा में प्रश्न लगाकर भी इस मुद्दे को उठाया गया था, और दोषी ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता के खिलाफ तत्काल एक्शन लेते हुए पद से हटाने और विभागीय जांच की मांग की थी. पीसी शर्मा का कहना है कि भले ही इस मामले में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है लेकिन इस मुद्दे को फिर से पूरी ताकत के साथ उठाया जाएगा यही वजह है कि चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है आने वाले दिनों में भी विधानसभा में फिर से इस मामले को उठाया जाएगा.

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ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के नौकरी से वंचित होने पर ओबीसी महासभा की सरकार को कड़ी चेतावनी और कांग्रेस के समर्थन के साथ दोषी ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता के खिलाफ कब एक्शन होगा. इसको लेकर जब चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि कोई भी घोटाले और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमारे द्वारा नर्सिंग कॉलेज के कॉकस को भी तोड़ा गया है. ग्वालियर मेडिकल कॉलेज नर्सिंग भर्ती मामले की जांच और तेज की जाएगी, जो भी दोषी होगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा.

इस पूरे भ्रष्टाचार के मामले में मुख्य सवाल यही खड़ा होता है कि आखिर चिकित्सा शिक्षा विभाग की जांच में दोषी पाए जाने के बाद मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता के खिलाफ आखिर और कौन सी जांच होने वाली है. साथ ही क्या 2029 तक ओबीसी वर्ग के वह 20 योग्य उम्मीदवार नॉकरी के जॉइन करने के काबिल रहेंगे. तब तक वह अपना गुजर बसर कैसे करेंगे. यह सभी सवाल भविष्य के दरवाजे पर अभी भी दस्तक दे रहे है, लेकिन इनका जबाब किसी के पास नहीं है.

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