न्यूयॉर्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में घोषणा की कि भारत ने दुनिया का पहला डीएनए (DNA) वैक्सीन विकसित कर लिया है. इसे 12 साल से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को लगाया जा सकता है. इसके साथ ही एमआरएनए (mRNA) वैक्सीन का विकास अंतिम पड़ाव पर है. इसके अलावा भारतीय वैज्ञानिक कोविड-19 के लिए नाक से ली जाने वाली वैक्सीन भी विकसित कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में समय के साथ सुधार, अफगानिस्तान के हालात, सामुद्रिक सुरक्षा जैसे विषयों पर बात कही. लेकिन कोरोना काल में पहली बार सीधे तौर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए उनका फोकस वैक्सीन पर रहा.

उन्होंने एक तरफ जहां भारत में डीएनए वैक्सीन विकसित करने के साथ एमआरएनए वैक्सीन के विकास में अंतिम पड़ाव पर खड़े होने की जानकारी दी. साथ ही उन्होंने दुनिया भर के वैक्सीन मैन्युफैक्चर्स को आमंत्रित करते हुए भारत में वैक्सीन बनाने की बात कही. उन्होंने भारत में कोविन एप की जानकारी देते हुए बताया कि इसके जरिए करोड़ों लोगों को वैक्सीन लगाने का प्लेटफार्म मुहैया कराया गया है. मानवता के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए भारत के एक बार फिर दुनिया के जरूरतमंदों को वैक्सीन देने की घोषणा की.

पाकिस्तान का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रिग्रेसिव थिंकिंग के साथ जो देश आतंकवाद का पॉलिटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है. साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि ये सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए ना हो.