नई दिल्ली। दिल्ली में कोयले की कमी के कारण विद्युत संकट बढ़ रहा है. दिल्ली में बिजली की 6000 मेगावाट की पीक डिमांड है. इसकी जानकारी पॉवर के ऑनलाइन पोर्टल पर देख सकते हैं. लगभग 21 दिनों से ज्यादा का बैकअप हमेशा ही सभी पॉवर प्लांट्स में रहा करता था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह बैकअप सिर्फ 1-2 दिन का रह गया है. राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि दिल्ली में स्थिति गंभीर है और कोयले की भयंकर कमी का सबसे बड़ा कारण रेलवे के रैक का कम होना. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विद्युत संकट के संबंध में कहा कि दिल्ली में हम लोग किसी तरह से मैनेज किए हुए हैं. इस समस्या से निपटने के लिए त्वरित ठोस कदम उठाने की जरूरत है. देश भर में बिजली की भारी समस्या हो रही है. अभी तक दिल्ली में हम लोग किसी तरह से मैनेज किए हुए हैं. पूरे भारत में स्थिति बेहद गंभीर है. इस समस्या से निपटने के लिए त्वरित ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

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देश में कोयले की भयंकर कमी

दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को कहा कि पूरे देश में कोयले की बहुत भयंकर कमी है. इसका सबसे बड़ा कारण रेलवे के रैक का कम होना और कोयले की सप्लाई में भारी कमी है. कोयले की इस भारी कमी के कारण देशभर के सभी पॉवर प्लांट्स में बिजली उत्पादन को लेकर समस्या आ रही है. सत्येंद्र जैन ने केंद्र सरकार से बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों में कोयले की उचित व्यवस्था की अपील की है. सत्येंद्र जैन ने बताया कि आम तौर पर पावर प्लांट में बिजली बनाने के लिए 21 दिनों से ज्यादा का कोयले का बैकअप होता है, लेकिन आज देश के कई प्लांट्स में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा है. दिल्ली में भी स्थिति गंभीर है. दिल्ली को बिजली मुहैया कराने वाले सभी पावर प्लांट में एक ही दिन का कोयला बचा है. वर्तमान में सप्लाई के हिसाब से हमारे पास केवल अगले दिन का कोयला बचा होता है.

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दिल्ली में वर्तमान में 6000 मेगावाट की डिमांड

मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि बिजली को स्टोर नहीं किया जा सकता है, बिजली रोजाना पावर प्लांट में बनाई जाती है, इसलिए बिजली के बैकअप के लिए इसे बनाने वाले ईंधन का बैकअप रखना जरूरी है. इस समय यह ईंधन कोयला है, जिसकी सप्लाई में देशभर में कमी आई हुई है. बिजली के पावर प्लांट इस तरह काम नहीं कर सकते हैं. किसी भी परिस्थिति में कम से कम 7 दिनों का कोयला होना ही चाहिए, ताकि पॉवर प्लांट अपनी पूरी क्षमता पर काम कर सकें. अभी दिल्ली में 6000 मेगावाट की पीक डिमांड है. इसकी जानकारी पॉवर के ऑनलाइन पोर्टल पर देख सकते हैं. लगभग 21 दिनों से ज्यादा का बैकअप हमेशा ही सभी पॉवर प्लांट्स में हुआ रहा करता था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह सिर्फ 1-2 दिन का रह गया है.

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कोयले की सप्लाई करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की- सत्येंद्र जैन

मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि कोयले की सप्लाई करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. केंद्र सरकार से अपील हैं कि देशभर में कोयले की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित करें. साथ ही रेलवे के रैक बढ़ाएं जाएं. जहां पहले ट्रेन में 450 रैक होते थे अब केवल 405 ही हैं, जबकि इनकी संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए थी, लेकिन इसका ठीक उलट हो रहा है. अब ये रैक घट गए हैं. दिल्ली के कुछ हिस्सों में ब्लैक आउट से बचने के लिए और डीएमआरसी, अस्पतालों और आगामी गर्मी के मौसम में बिजली की निरंतर आपूर्ति के लिए इन पॉवर स्टेशनों की अहम भूमिका रहती है. अभी तक दिल्ली सरकार इस पूरे मामले को मैनेज किए हुए, लेकिन पूरे देश की स्थिति की गंभीरता को देखकर केंद्र सरकार को इस पर जल्द से जल्द उचित कदम उठाना चाहिए, ताकि बिजली की समस्या का समाधान निकालना हो सके.

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पॉवर प्लांट्स में कोयले का बेहद कम स्टॉक

दिल्ली में बिजली आपूर्ति करने वाले विभिन्न थर्मल स्टेशनों में इस समय कोयले की बहुत ज्यादा कमी है. नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरशन (एनटीपीसी) के दादरी-कक और झज्जर (अरावली), दोनों पॉवर प्लांट्स मुख्य रूप से दिल्ली में बिजली की आवश्यकता को पूरा करने के लिए स्थापित किए गए थे, लेकिन इन पॉवर प्लांट्स में कोयले का बेहद कम स्टॉक बचा है.

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