
देवेंद्र चौहान, भोजपुर (रायसेन)। मध्य प्रदेश में बेतवा नदी का संकट जल्द दूर होगा। बेतवा उद्गम की जलधारा से एक बार फिर पानी आएगा। कलेक्टर के आदेश पर कई विभागों की कमेटी बनाई गई है। लल्लूराम डॉट कॉम ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद प्रशासन ने इस मामले में संज्ञान लिया है।
मध्य प्रदेश में एक बार फिर लल्लूराम डॉट कॉम का असर हुआ है। दरअसल, राजधानी भोपाल से सटे रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा में स्थित बेतवा उद्गम की जलधारा सूखने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर के बाद प्रशासन की नींद खुली और प्रशासनिक अधिकारियों ने उद्गम स्थल का जायजा लिया।
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पर्यावरणप्रेमियों के साथ की बैठक
रायसेन डिप्टी कलेक्टर अंजू भदौरिया, डीएफओ हेमंत रैयाकवर के साथ कई संबंधित विभागों के अधिकारी बेतवा उद्गम स्थल पर पहुंचे। पर्यावरणप्रेमियों के साथ बैठक की। वहीं कलेक्टर के आदेश पर कई विभागों की कमेटी बनाई गई है। सालों से बह रही बेतवा उद्गम की जलधारा कैसे सूख गई, एक्सपर्ट इसका पता लगाएंगे।
रायसेन से निकलती है बेतवा नदी
आपको बता दें कि बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के झिरी गांव से निकलती है। यह नदी गंगा बेसिन का हिस्सा है और आगे चलकर उत्तर प्रदेश में यमुना नदी में मिलती है। इसकी लंबाई 590 किलोमीटर, बेसिन क्षेत्र – 46,580 वर्ग किलोमीटर है। यह नदी भोपाल, भोजपुर मंदिर, विदिशा, झांसी, हमीरपुर, औरैया और ओरछा से होते गए गंगा नदी में समाहित होती है।
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नदी किनारे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल
बेतवा नदी का इतिहास भी समृद्ध है। यह प्राचीन भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र की प्रमुख नदी रही है। इसके किनारे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल स्थित हैं, जिनमें ओरछा, भोजपुर, विदिशा और झांसी शामिल हैं। बेतवा नदी का उद्गम स्थल राजधानी भोपाल के पास में स्थित है।
अगर समय रहते बेतवा नदी के उद्गम स्थल को नहीं बचाया गया, तो यह नदी अपना अस्तित्व खो सकती है। अब जरूरी है कि स्थानीय प्रशासन, सरकार और आम जनता मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाए, ताकि बेतवा नदी फिर से अपनी मुख्य धारा में लौट सके। गौरतलब है कि इस मुद्दे को लेकर स्थानीय पर्यावरणविदों और जागरूक नागरिकों ने चिंता जाहिर की थी और ‘नदी बचाओ’ अभियान की शुरुआत करने का संकल्प लिया है।
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