Bank Loan Crisis Details : महाकुंभ की चर्चा देश-विदेश में खूब हुई. देश-विदेश से करोड़ों लोग वहां पहुंचे थे. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बल मिला. लेकिन इस महाकुंभ ने बैंकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं. महाकुंभ की वजह से अब बैंकों के पास लोन बांटने के लिए भी पैसे नहीं हैं.

banking liquidity
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कैसे खाली हुआ बैंकों का खजाना?

आपके मन में यह सवाल भी आ सकता है कि महाकुंभ की वजह से बैंकों का खजाना कैसे खाली हो गया? इसका जवाब यह है कि महाकुंभ में जाने के लिए लोगों ने बैंकों से खूब पैसे निकाले. इसलिए अब उनके पास लोन बांटने के लिए पैसे नहीं बचे.

एसबीआई की रिपोर्ट में खुलासा

भारतीय स्टेट बैंक के मुताबिक, पिछले एक दशक में भारतीय सिस्टम में सबसे बड़ा लिक्विडिटी संकट देखने को मिल रहा है.

नवंबर में बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी 1.35 लाख करोड़ रुपये से घटकर दिसंबर में 0.65 लाख करोड़ रुपये रह गई. उसके बाद जनवरी में यह घाटा 2.07 लाख करोड़ रुपये और फरवरी में 1.59 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया.

एसबीआई की रिपोर्ट आरबीआई के लिए सुझाती है रास्ता

एसबीआई की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए आरबीआई को बैंकों में पूंजी डालने के लिए कैश रिजर्व रेशियो में कटौती करनी होगी.

महाकुंभ के कारण नकदी की कमी

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महाकुंभ और ऐसे अन्य बड़े आयोजनों के दौरान बैंकों से नकदी निकासी की संख्या बढ़ जाती है. खुदरा जमाकर्ताओं ने महाकुंभ के दौरान बैंकों से काफी नकदी निकाली और उसे वहीं खर्च कर दिया.

इस दौरान बैंकों में जमा राशि से ज्यादा निकासी हुई. यह पैसा अभी तक बैंकों में जमा नहीं हुआ है, जिससे बैंकों के पास लिक्विडिटी में कमी आई है.

फरवरी में सीआरआर में हुई थी कटौती 

इससे पहले फरवरी में एसपी की बैठक के बाद आरबीआई ने सीआरआर में कटौती की थी. जो 0.50 फीसदी थी. फरवरी में कटौती के बाद बैंकिंग सिस्टम में 1.10 लाख करोड़ रुपये आए थे. अब फिर से आरबीआई को बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए सीआरआर में कटौती करनी होगी.