रायपुर। बीजापुर के जंगलों में 3 अप्रैल को सुरक्षाबल-नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद अगवा हुए जवान राकेश्वर सिंह मनहास की रिहाई क्या किसी समझौते के तहत हुई? दरअसल रिहाई के बाद यह सवाल जोरशोर से उठ रहा है. कहा जा रहा है कि जवान की रिहाई के बदले एक नक्सली/स्थानीय ग्रामीण को छोड़ा गया. प्रशासन की ओर से बनाई गई मध्यस्थों की टीम में से एक मध्यस्थ तेलम बौरेया का एक कथित आडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुंजाम सुक्का नाम के ग्रामीण को छोड़े जाने का जिक्र किया जा रहा है. हालाकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इन तथ्यों को बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने खारिज किया है. क्या था वायरल ऑडियो ?

दरअसल बीजापुर मुठभेड़ के ठीक बाद जवान राकेश्वर लापता था, जिसे नक्सलियों के अपने कब्जे में था. ठीक उसके बाद एक जवान के नाम से ऑडियो वायरल हुआ. जिसमें वो यह कह रहा था कि जवान की रिहाई के बदले एक नक्सली के साथी को वापस सौंपा गया है. ऑडियो में यह भी कहा गया था कि सुरक्षा बल के जवान एक नक्सली को जिंदा पकड़कर ले आए थे. उसी नक्सली को छोड़ने के बाद जवान की रिहाई हुई है. यह ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.

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नक्सली को छोड़े जाने की खबरें आधारहीन- IG

बस्तर आईजी सुंदरराज पी. का कहना है कि मध्यस्थता टीम के सदस्य और पत्रकार साथियों के द्वारा नक्सलियों के चंगुल से जवान की सकुशल रिहाई कराई गई है. इस दौरान किसी भी गिरफ्तार किए गए माओवादी को नहीं छोड़ा गया है. क्योंकि जवान के बदले नक्सली की रिहाई की खबरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं, जो पूरी तरीके से आधारहीन है.

मुठभेड़ के बाद नहीं हुई किसी की गिरफ्तारी

IG ने आगे ये भी बताया कि मुठभेड़ के बाद अब तक किसी भी नक्सली की गिरफ्तारी नहीं हुई है. ऐसे में नक्सली को छोड़े जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता. जब नक्सलियों के साथ मुठभेड़ होता है, तब उस क्षेत्र के कुछ ग्रामीणों को पुलिस मदद के लिए अपने साथ लेकर आती है. उसके बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है. इसलिए इस मुठभेड़ के बाद किसी नक्सली और किसी स्थानीय/ग्रामीणों को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

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IG को क्यों देना पड़ा बयान ?

आईजी का कहना है कि तर्रेम के टेकलगुडेम में हुई मुठभेड़ के बाद घायल जवानों को कुछ ग्रामीण वापस कैम्प तक सुरक्षित लेकर आए थे. ग्रामीण सुखा कुंजाम जिसका जिक्र मीडिया और सोशल मीडिया में किया गया है. वो पुलिस कैंप से वापस सही सलामत गांव लौट गया था. आज दिनांक तक टेकलगुडेम मुठभेड़ के प्रकरण में किसी की भी गिरफ्तारी नहीं की गई है. ना ही अपहृत जवान के बदले में किसी माओवादी को छोड़ा गया.

गुरुवार को जवान की हुई है रिहाई

बीजापुर के तर्रेम थाना क्षेत्र में गुरुवार को जम्मू-कश्मीर निवासी कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास की सकुशल रिहाई हुई है. 20 गांवों के ग्रामीणों के सामने 5 दिन बाद नक्सलियों ने जवान को सुरक्षित छोड़ा था. जिसके बाद न केवल फोर्स, बल्कि राज्य और केंद्र सरकार ने राहत की सांस ली थी.

मध्यस्थता के लिए गई थी ये टीम

सरकार की तरफ से गठित दो सदस्यीय मध्यस्थता टीम के सदस्य पद्मश्री धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया समेत सैकड़ो ग्रामीणों की मौजूदगी में नक्सलियों ने जवान को रिहा किया है. जवान की रिहाई के लिए मध्यस्ता कराने गई दो सदस्यीय टीम के साथ बस्तर के 7 पत्रकारों की टीम भी मौजूद थी. नक्सलियों के बुलावे पर जवान को रिहा कराने बस्तर के बीहड़ में वार्ता दल समेत कुल 11 सदस्यीय टीम पहुंची थी.

मुठभेड़ में 22 जवानों की शहादत

बता दें कि बीजापुर जिले के टेकुलगुडम में 3 अप्रैल को हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 22 जवानों की शहादत हुई है. सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच साढ़े चार घंटे तक मुठभेड़ चली. 30 घायल जवानों को अस्पताल पहुंचाया गया है, जिनमें 13 का इलाज रायपुर और 18 का बीजापुर में चल रहा है.

मुठभेड़ में 4 नक्सली हुए थे ढेर

पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 4 नक्सली ढेर हुए थे. जिसमें ओड़ी सन्नी, पदाम लखमा, कोवासी बदरू और नपा सुरेश शामिल है. पुलिस ने महिला नक्सली सन्नी का शव बरामद कर लिया था. बाकी तीन नक्सलियों का जनता के बीच रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कर दिया गया.

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