डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने 23 साल पुराने हत्या के एक मामले में बरी किए जाने के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है. देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार ने 2002 के मर्डर मामले में बरी किए गए 4 अन्य लोगों को भी नोटिस जारी किया है.

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28 मई 2024 को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरमीत सिंह और चार अन्य को डेरे के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में बरी कर दिया, जिसके खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली खंडपीठ ने निर्णय लिया कि मामला जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अगुवाई वाली पीठ में पहले से ही सुनाया गया है, इसलिए यह अब उनकी पीठ में आगे की कार्यवाही के लिए लिस्ट किया जाएगा.

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क्या है मामला?

10 जुलाई 2002 को हरियाणा के कुरूक्षेत्र की खानपुर कॉलोनी में रणजीत सिंह की हत्या की वजह एक गुमनाम चिट्ठी थी, जिसमें सिरसा के डेरा मुख्यालय में गुरमीत राम रहीम द्वारा महिलाओं के यौन शोषण के आरोपों को उजागर किया गया था. डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह ने उस पत्रिका का प्रचार किया था, जिसमें महिला अनुयायियों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत की गई थी. इस पत्रिका के सार्वजनिक होने और डेरा के मैनेजर की संदिग्ध हत्या के बाद लोगों में व्यापक आक्रोश फैल गया.

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2021 में पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने गुरमीत राम रहीम को रणजीत सिंह की हत्या में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया था, साथ ही अवतार सिंह, कृष्ण लाल, जसबीर सिंह और सबदिल सिंह को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने सभी पांचों को भारी भरकम जुर्माना भी लगाया था. राम रहीम पर 31 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था, सबदिल सिंह पर 1.50 लाख रुपये, जसबीर सिंह और कृष्ण लाल पर 1.25 लाख रुपये और अवतार सिंह पर 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था.