हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराजा यशवंतराव (MYH) अस्पताल में मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां दिल की जांच यानी ECG टेक्नीशियन नहीं, बल्कि बाबू कर रहे हैं! सोचिए, अगर आपके दिल की जांच किसी प्रशिक्षित टेक्नीशियन के बजाय एक बाबू करे, तो क्या आप खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे? 

MYH अस्पताल में मुकेश डाबर और ओमप्रकाश सिंह नाम के बाबू पिछले 15 सालों से ECG कर रहे हैं। जबकि नियमों के मुताबिक ECG करने के लिए विशेष ट्रेनिंग और डिप्लोमा अनिवार्य होता है। लेकिन यहां डिग्रीधारी टेक्नीशियन नहीं, फाइलों पर दस्तखत करने वाले बाबू ही मरीजों की जांच कर रहे हैं। Lalluram.com ने जब अस्पताल के अधीक्षक से फोन पर सवाल किया तो उन्होंने माना कि पिछले 15 सालों से टैक्सी टेक्नीशियन नहीं होने के कारण बाबू जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा वह कर सकते हैं और इस जांच को कोई भी कर सकता है।

अधीक्षक डॉ. अशोक यादव का चौंकाने वाला जवाब

जब इस मामले में अधीक्षक डॉ. अशोक यादव से पूछा गया कि टेक्नीशियन की जगह बाबू ECG क्यों कर रहे हैं? तो उनका जवाब चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि “यह बाबू 15 साल से यही काम कर रहे हैं, इसलिए यह कर सकते हैं!” लेकिन रिपोर्ट डॉक्टर ही देखते हैं। जब बाबू ही अगर लैब टेक्नीशियन का काम कर सकते हैं तो फिर लैब टेक्नीशियन की 1 साल की डिप्लोमा डिग्री किस काम की होती है? क्या वे डिप्लोमा करने के बाद स्पेशल ट्रेनिंग पर जाते हैं। क्योंकि अधीक्षक साहब का कहना है कि इस जांच को कोई भी कर सकता है तो सवाल खड़ा होता है कि सरकार के द्वारा बनाया गया नियम क्या गलत है?

सवाल यह उठता है कि अगर किसी सर्जरी में डॉक्टर की जगह वार्ड बॉय आकर खड़ा हो जाए, तो क्या उसे भी ऑपरेशन करने दिया जाएगा? अगर कोई बिना ट्रेनिंग और डिग्री के मरीजों की जांच कर सकता है, तो फिर मेडिकल कोर्स की जरूरत ही क्या है?

मरीजों की जान से खिलवाड़, पर किसी को फर्क नहीं पड़ता!

MYH अस्पताल में हर दिन सैकड़ों मरीज ECG करवाने आते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं बताया जाता कि उनकी जांच कोई प्रशिक्षित टेक्नीशियन नहीं, बल्कि कोई ऐसा व्यक्ति कर रहा है, जिसे इसकी बुनियादी ट्रेनिंग तक नहीं दी गई। अगर ECG रिपोर्ट गलत आई तो मरीजों को गलत इलाज दिया जा सकता है। उनकी जान पर खतरा भी मंडरा सकता है।

स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देना होगा

यह सिर्फ लापरवाही नहीं, मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ है। क्या सरकार को इस अनदेखी की कोई खबर नहीं? क्या स्वास्थ्य मंत्री इस पर कोई जवाब देंगे? अगर आज इसे नजरअंदाज किया गया, तो कल और कितने मरीज इसकी भेंट चढ़ेंगे?

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