Sudhakar Singh: बक्सर से राजद सांसद सुधाकर सिंह ने बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि, पिछले 20 वर्षों में सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए 80,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन इसके बावजूद राज्य की सिंचाई क्षमता में 25% की कमी आई है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वृद्धि हुई है.
सुधाकर सिंह के अनुसार, 2005 में राज्य में 12.5 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी, जो अब घटकर 9.5 लाख हेक्टेयर रह गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों के नाम पर बजट पास कर ठेकेदारों, अधिकारियों और सत्ताधारी नेताओं की जेबें भरी गई हैं.
15 मई के बाद छोड़ा जाता था पानी
राजद सांसद ने कहा कि, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शासनकाल (1990–2005) के दौरान, हर वर्ष 15 मई के बाद नहरों में सिंचाई हेतु पानी छोड़ा जाता था, जिससे किसान समय पर खेतों की जुताई और बुवाई कर पाते थे. यह कोई तर्क नहीं है कि उस समय नदियों या जलाशयों में अधिक पानी था और आज नहीं है. दरअसल, वर्तमान में भी जल की कोई कमी नहीं है.
उन्होंने सेंट्रल वॉटर कमीशन (CWC) का हवाला देते हुए कहा कि, इस समय सोन नदी में इंद्रपुरी बैराज पर 9,000 क्यूसेक पानी उपलब्ध है. बावजूद इसके, नहरों में मात्र 3,000 क्यूसेक पानी ही छोड़ा जा रहा है और शेष 6,000 क्यूसेक पानी को यूं ही नदी में बहा दिया जा रहा है. यह स्थिति तब है जब किसान बार-बार सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की मांग कर रहे हैं.
बाढ़ नियंत्रण में सरकार विफल
राजद सांसद ने कहा कि, हर साल 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के बजट के बावजूद सरकार बाढ़ की समस्या का समाधान करने में नाकाम रही है. पहले रोहिणी नक्षत्र में 15 मई से पहले नहरों में पानी छोड़ा जाता था, लेकिन अब यह तारीख 1 जून और फिर 15 जून तक खिसक गई है, जिससे किसान समय पर बिचड़ा नहीं डाल पा रहे. उन्होंने सोन नहर प्रणाली की जर्जर स्थिति, इंद्रपुरी बैराज से अपर्याप्त जलप्रवाह और वाणसागर जलाशय से बिहार को पानी नहीं मिलने को सरकार की लापरवाही का सबूत बताया.
80,000 करोड़ के खर्च की जांच की मांग
सुधाकर सिंह ने 80,000 करोड़ रुपये के खर्च की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. साथ ही, उन्होंने 15 मई से पहले नहरों में पानी छोड़ने की पुरानी व्यवस्था बहाल करने, दोषियों पर कार्रवाई करने और मानसून से पहले मरम्मत कार्य पूरा करने की मांग की. राजद सासंद ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने किसानों की अनदेखी जारी रखी, तो राजद हर खेत और गांव में जन आंदोलन शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि, यह केवल पानी की लड़ाई नहीं, बल्कि किसानों के अस्तित्व का सवाल है.