देहरादून. उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव राधा रतूड़ी 31 मार्च को रिटायर होने वाली हैं. लेकिन आज हम आपको उनके सक्सेस स्टोरी के बारे बताने जा रहे हैं. आखिर कैसे उन्होंने जर्नलिस्ट से ब्यूरोक्रेसी के सबसे बड़े पद तक का सफर तय किया. आइए जानते हैं…

दरअसल, मूल रूप से एमपी के जबलपुर की रहने वालीं राधा श्रीवास्तव (शादी के बाद राधा रतूड़ी) पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना भविष्य तलाशना चाहती थीं. उन्होंने स्कूलिंग पूरी करने के बाद मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएशन मास कम्युनिकेशन से किया. पत्रकारिता के क्षेत्र में भविष्य तलाश रहीं राधा रतूड़ी ने इंडियन एक्सप्रेस बॉम्बे में ट्रेनिंग ली.

पिता ने दी सिविल सर्विस में जाने की सलाह

इसके बाद उन्होंने इंडिया टुडे मैगजीन में भी काम किया. साल 1985 के दौरान अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन करने और फिर पत्रकारिता के क्षेत्र में हाथ आजमाने के दौरान ही उनके जीवन में टर्निंग प्वाइंट उस समय आया. जब उनके पिता ने उन्हें सिविल सर्विस में जाने की सलाह दी. क्योंकि उसके पिता बीके श्रीवास्तव सिविल सर्विस में ही थे.

1987 में बनीं आईपीएस

इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी की और इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस में सफलता हासिल की. 1985-86 में उन्हें दिल्ली में नियुक्ति मिली. उन्होंने दिल्ली में सेवाएं दी. लेकिन उन्हें दिल्ली का माहौल कुछ पसंद नहीं आया. 1987 में उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम दिया और आईपीएस बनीं और ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद आईं. जहां उनकी मुलाकात 1987 बैच के ही आईपीएस अनिल रतूड़ी से हुई.

1988 में बनीं IAS

यह मुलाकत प्यार में बदल गई और बात शादी तक पहुंच गई. सर्विस में बार-बार होने वाले तबादलों के कारण दोनों को ही अपनी तैनाती के लिए अलग-अलग रहना पड़ा. इसके बाद फिर राधा रतूड़ी के पिता ने बेटी को आईएएस के लिए प्रयास करने की सलाह दी और उन्होंने 1988 में फिर परीक्षा क्रैक किया और आईएएस बनीं. एक साल मध्य प्रदेश में सेवाएं देने बाद उन्हें यूपी कैडर मिला. राधा रतूड़ी ने प्रतिनियुक्ति पर आंध्र प्रदेश में भी पोस्टिंग लेकर दो साल जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में काम किया.

चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर के तौर पर भी किया काम

साल 1999 में वह वापस उत्तर प्रदेश आ गईं. लेकिन इसके बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड अलग राज्य के रूप में स्थापित हुआ. जिसके बाद राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड कैडर ले लिया. उत्तराखंड में करीब 10 साल तक उन्होंने चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर के तौर पर भी काम किया है. टिहरी विस्थापन के दौरान उनके फैसलों ने टिहरी विस्थापितों को बहुत मदद दी. राधा रतूड़ी का टिहरी के हिंडोलाखाल में ससुराल है.

तीसरी बार मिलेगा सेवा विस्तार?

बात दें कि वर्तमान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को दो बार 6-6 महीने का सेवा विस्‍तार मिल चुका है. राधा रतूड़ी अपनी सेवानिवृत्ति से दो माह पूर्व 31 जनवरी 2024 को मुख्य सचिव बनीं थीं. इसके बाद 30 सितंबर को राधा रतूड़ी का कार्यकाल पूरा हुआ, लेकिन धामी सरकार ने एक बार फिर उन्हें सेवा विस्तार दिया. माना जा रहा है कि धामी सरकार उन्‍हें तीसरी बार सेवा विस्‍तार दे सकती है.