Womens’s Day: प्रतीक चौहान. रायपुर. हुआ कुछ यूं था कि 7-8 वर्ष पहले मुंबई से कोई वरिष्ठ पत्रकार आएं थे. उस दिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में एक स्टोरी थीं, जिसे देखकर उन्होंने कमेंट किया, यहीं छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता है! किसी ने कहा- ये नहीं करेंगे तो विज्ञापन कैसे मिलेगा. इतने में इंटर्न कर रही एक लड़की ने अपने बेबाकी भरे अंदाज में अपने स्वभाव के अनुरूप जवाब दिया. यदि यहां मौजूद सभी ‘चाटुकारिता’ बंद कर दें तो विज्ञापन चलकर आएंगे. मुंबई से आएं उक्त वरिष्ठ पत्रकार ने इस इंटर्न के लिए न केवल तालियां बजाई, बल्कि अपने पास रखी एक डायरी भी गिफ्ट की.

  लेकिन आज आलम ये है कि इस इंटर्न छात्रा ने टीवी पत्रकारिता में अपना परचम लहराने के बाद बतौर सीनियर रिपोर्टर काम किया और अब इनकी शादी हो चुकी है. लेकिन अपने पत्रकारिता के दिनों में मिले FIR के ‘तोहफे’ से आज भी जुझ रही है और लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत के दौरान उन्हें ये तक कहना पड़ा कि ‘आपके सामने मैं जो बैठी हूं वो जमानत पर बैठी हूं’. वे कहती है कि 4-5 वर्ष पहले FIR होने के बाद कई बार पुलिस ने घर में तलाशी लेने के लिए दबिश दी. ये सब देखकर घर वाले काफी डर गए. लेकिन उन्होंने कभी बेटी का साथ नहीं छोड़ा और पत्रकारिता जारी रखी. हम बात कर रहे है टीवी पत्रकार रही श्रेया पांडे की.

एफआईआर के बाद भी डरी नहीं…

श्रेया कहती है कि उन पर पुलिस ने जो धाराएं लगाई है वह महिला आरक्षक से मारपीट की है. वे कहती है कि वे आम लोगों की तरह खा-पीकर मरने के लिए नहीं बनी है. इसलिए उनका पत्रकारिता क्षेत्र में आना आम लोगों की मदद करना था. लेकिन एक घटना ने उनका जीवन बदल दिया. जिसमें एक पीड़ित की वो चाहकर भी मदद नहीं कर पाई, जिसके बाद उन्हें ये लगा कि मैं यदि किसी की मदद नहीं कर पा रही हूं तो मेरे पत्रकारिता का क्या मतलब ?

हालांकि इसी बीच उन्होंने पीएससी की तैयारी की और पहले अटैम्प्ट में ही इंटरव्यू तक पहुंची, लेकिन कुछ अंकों से पीछे रह गई. अभी वर्तमान में वे अपनी बीएड की पढ़ाई पूरी करने में लगी हुई है.

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