सुधीर सिंह राजपूत,मिर्जापुर। देश की सरहदों से लेकर घनघोर जंगलों, नक्सल, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में जान जोखिम में डालकर देश समाज की खातिर हर पल मुस्तैद रहने वाले जवान को यदि खुद के परिवार के असुरक्षित होने और मकान को बचाने के लिए गुहार लगाने पड़ रहें हो तो भला इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहां जाएगा। जिले के हलिया थाना क्षेत्र के मनिगढ़ा गांव निवासी रयूफ अंसारी पुत्र कय्यूम अंसारी के साथ भी कुछ ऐसा ही होता आ रहा है।

जिलाधिकारी से लगाई न्याय की गुहार

सोमवार को जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर उन्होंने पुनः प्रार्थना पत्र देकर अपना मकान दबंग से खाली कराएं जाने की गुहार लगाई है। इसके पूर्व 10 मार्च 2025 को जिलाधिकारी से मिलकर गुहार लगा चुके थे तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय भी पहुंचे थें जहां एक कार्यक्रम में एसपी के शामिल होने की वजह से मुलाकात नहीं हो पाई थी, सो वह एसपी कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर वापस लौट गए थे। एक सप्ताह बाद पुनः वह मुख्यालय पहुंच कर अपनी आपबीती सुनाई है। इसी के साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनका घर खाली न हुआ तो वह 22 मार्च को वह
जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर बावर्दी आत्मदाह करने को विवश होंगे।

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जवान के मकान पर किया कब्जा

दरअसल, हलिया थाना क्षेत्र के मनिगढ़ा गांव निवासी रयूफ अंसारी पुत्र कय्यूम अंसारी केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल सशस्त्र सुरक्षा बल (SSB) में कांस्टेबल के पद पर पोखराझार, भूटान बार्डर से लगने वाले एरिया में तैनात हैं। जवान रयूफ के मुताबिक उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व हलिया के देवरी बाजार में दो बिस्वा भूमि खरीद कर दो कमरों का मकान बनवाया था। जहां घर के दीवार पर प्लास्टर होना बाकी था, कि इसी बीच उनकी छुट्टी समाप्त हो जाने पर वह आनन-फानन में ड्यूटी पर लौट गए थे। इधर जवान रयूफ के ड्यूटी पर जाते ही घर खाली देख संतोष कुमार पुत्र स्वर्गीय रामपति ने उनका घर खाली देख चुपके से घर पर कब्जा जमा लिया। जिसकी जानकारी जबतक उन्हें होती तबतक संतोष उनके मकान में बाकायदा कब्जा जमा लिया था।

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जवान की नहीं हो रही सुनवाई

पीड़ित सशस्त्र सुरक्षा बल के जवान ने हलिया थाना पुलिस से लेकर क्षेत्राधिकारी लालगंज को प्रार्थना पत्र देकर घर खाली कराने की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो पाई है। बाद में जवान ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से भी गुहार लगाई, लेकिन यहां से भी उन्हें निराशा ही होना पड़ा है। पीड़ित जवान के मुताबिक वह हर बार छुट्टी मिलने पर फरियाद दर फरियाद लगाता आया है, लेकिन अभी तक उसका मकान खाली कराया नहीं जा सका है। ऐसी स्थिति में वह आर्थिक, मानसिक व सामाजिक प्रताड़ना से जूझते हुए अधिकारियों के चौखट पर फरियाद लिए फिरते आएं हैं। सोमवार को जवान रयूफ एसपी आफिस पहुंचते ही फफक पड़े थें, अपना दुखड़ा सुनाने हुए उन्होंने बताया कि वह अपने बीबी बच्चों के साथ स्वयं का घर होने के बाद भी किराए के घर में रहने को विवश हैं।

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SC-ST एक्ट में फंसाने की मिलती है धमकी

सशस्त्र सुरक्षा बल के जवान का आरोप है कि चार वर्षों से जब-जब उन्हें छुट्टी मिली है वह मकान खाली करने के लिए प्रार्थना पत्र देने के साथ कब्जा करने वाले संतोष से भी गुहार लगाते हुए आएं हैं, लेकिन मकान खाली करना तो दूर उल्टा उन्हें एससी-एसटी एक्ट में फंसाकर जेल भिजवा नौकरी खा जाने की धमकीं दी जाती रही है। जिससे वह और उनका परिवार तनाव व परेशानियों के बीच जीवन गुजारने को विवश हैं।

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उन्होंने बताया कि उनके उच्चाधिकारियों ने भी स्थानीय पुलिस से पत्राचार के माध्यम से उन्हें न्याय दिलाने और उनके मकान को खाली कराने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन मामला न्यायालय में होने का हवाला देते हुए उनके उच्चाधिकारियों को गुमराह किया जाता रहा है। जबकि उनका न तो किसी से विवाद रहा है, ना ही मकान कब्जा करने वाले संतोष से उनका कोई ताल्लुक़ात रहा है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे जवान ने अपनी गुहार लगाते हुए घर को कब्ज़ा मुक्त कराने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया जहां पुलिस अधीक्षक से मुलाक़ात न हो पाने की दशा में उनका प्रार्थना पत्र लेते हुए जांच कराकर कार्रवाई का उन्हें आश्वासन दिया गया है।

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जवान बोले- नक्सलियों से गोली खाई

जवान रयूफ अंसारी दुःखी मन से कहते हैं ‘वह देश और समाज के लिए जीते मरते हुए आएं हैं, पैर में गोली भी खाईं है, लेकिन सरहद की सुरक्षा की खातिर कभी भी पग पीछे नहीं हटे हैं।’ वह बताते हैं कि 2018 कि घटना है, तब छत्तीसगढ़ में तैनात थें। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से आगे रेलवे लाइन का कार्य चल रहा था उसी की सुरक्षा को लेकर घने जंगलों में एक दिन ड्यूटी पर जाने के दौरान नक्सलियों ने रास्ते में आईईडी प्लांट कर रखा था जो कि उनकी एसएसबी पार्टी के पहुंचते ही उन्होंने (नक्सलियों) ने ब्लास्ट कर दी थी। उसी के स्प्रिंटल लगे थे, जिससे दाहिने पैर में अधिक चोट आई थी। जिसके निशान अभी भी पूरे तरीके से मिटे नहीं हैं। अब उन्हें अपने ही गांव-घर में अपने ही मकान को कब्जामुक्त कराने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। वह कहते हैं ”मेरा घर खाली करा दिजिए साहब ..! वरना आत्महत्या के आलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं होगा..यह कहते-कहते सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल का जवान फफक-फफक कर रो पड़ते हैं।