Jagdeep Dhankhar Resignation: जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। उनका इस्तीफा ऐसे वक्त आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है। अचानक इस्तीफे ने कई कयासों को जन्म देना शुरू कर दिया है। जगदीप धनखड़ अपने बेबाकी बोल के लिए जाने जाते थे। इसके कारण संसद की कार्यवाही के दौरान कई बार विपक्षी सासंदों से उनकी जुबानी जंग भी हुई। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) के साथ तो संसद के अंदर कार्यवाही के दौरान उनकी कई बार जुबानी जंग देखने को मिल चुकी है।

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यही नहीं, इंडिया गठबंधन ने धनखड़ पर सदन की कार्यवाही में पक्षपात करने का आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि उनके आचरण से देश की गरिमा को नुकसान पहुंचा हैष कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि धनखड़ विपक्ष के सदस्यों की हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करने लगते हैं।विपक्ष ने उनकी कार्यशैली को तानाशाही करार दिया था। विपक्ष ने उन्हें कई बार सरकार का प्रवक्ता तक करार दे दिया था।

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2024 में इंडिया गठबंधन ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। इसमें कांग्रेस, टीएमसी (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), द्रविड़ मुनेत्र कडगम (DMK), समाजवादी पार्टी (SP) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) समेत कुछ अन्य विपक्षी दलों के 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे।

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धनखड़ की कार्यशैली को तानाशाही करार दिया

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और टीएमसी नेता डेरेक ओब्रायन ने जगदीप धनखड़ पर सवाल उठाते हुए उनकी कार्यशैली को तानाशाही करार दिया था। संसद के अलग-अलग सत्रों में विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी। इस दौरान ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे भी लगाए थे।

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‘स्कूल के हेडमास्टर की तरह काम करते हैं’

पिछले साल जुलाई में इंडिया गठबंधन ने उन पर सदन की कार्यवाही में पक्षपात करने का आरोप लगाया था। विपक्ष ने कहा था कि उनके आचरण से देश की गरिमा को नुकसान पहुंचा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वह (धनखड़) विपक्ष के सदस्यों की हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करने लगते हैं। वो स्कूल के हेडमास्टर की तरह काम करते हैं।

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‘सरकार के प्रवक्ता बनकर काम कर रहे धनकड़’

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सभापति पर गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपराओं की जगह सरकार के लिए है। सभापति अपने प्रमोशन के लिए केंद्र सरकार के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं। वो खुद राज्यसभा में सबसे बड़े व्यवधान डालने वाले शख्स हैं। वो दूसरों को हिदायत देते रहते हैं. वो हमेशा कोशिश करते हैं कि सदन ठप रहे। विपक्षी दल संरक्षण के लिए चेयरमैन के पास जाते हैं लेकिन सभापति ही प्रधानमंत्री का खुला गुणगान करने में लगा रहें तो हम कहां जाएं।

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‘देश की गरिमा को पहुंचाया नुकसान’

खरगे ने कहा था, हम अगर एक सवाल पूछ लें तो सभापति सरकार के पक्ष में आ जाते हैं। उनका व्यवहार से निराशा होती है. साथ ही ये व्यवहार देश के ताने-बाने में व्यवधान है। सभापति के आचरण ने भारत की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। उनके आचरण की वजह से ऐसी स्थिति बन गई है कि हमें अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। खरगे ने कहा कि हमारी उनके (जगदीप धनखड़) साथ कोई निजी या सियासी दुश्मनी नहीं है। हमें मजबूरी में ये कदम उठाना पड़ा है।

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‘सदन को सत्तापक्ष का औजार बना रहे हैं धनखड़’

कांग्रेस और टीएमसी के सांसदों ने आरोप लगाया था कि धनखड़ सदन को सत्तापक्ष का हथियार बना रहे हैं। ये भी आरोप लगाया था कि सभापति विपक्षी सांसदों को मुद्दे उठाने देना तो दूर उनकी बातें भी रिकॉर्ड से बाहर कर दे रहे हैं। टीएमसी सासंद कल्याण बनर्जी ने उनको लोकतंत्र का कसाई करार दिया था। वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि उन्होंने अपने सियासी करियर में कभी इतना पक्षपाती सभापति नहीं देखा है।

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‘सभापति सदन नहीं चलाते, सर्कस चलाते हैं’

कांग्रेस के साथ ही शिवसेना (UBT) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि ये निजी लड़ाई नहीं है, बल्कि व्यवस्था की लड़ाई है। सभापति जगदीप धनखड़ सदन शुरू होने पर 40 मिनट पहले भाषण देते हैं और उसके बाद कहते हैं दंगा करो। ऐसा मालूम पड़ता है कि सभापति सदन नहीं बल्कि सर्कस चलाते हैं। उन्होंने सभापति पर संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं की अवहेलना का आरोप लगाया था।

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