Health Desk. मोटापा आज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने महामारी की श्रेणी में डाल दिया है. इसके कारण न केवल जीवनशैली प्रभावित होती है, बल्कि यह जानलेवा बीमारियों का कारण भी बन सकता है. WHO के अनुसार, मोटापे की वजह से हर साल 28 लाख वयस्कों की मौत हो रही है. इस बढ़ते खतरे को देखते हुए दुनिया भर के डॉक्टरों ने मोटापे को हल्के में लेने की बजाय इसे वैज्ञानिक तरीके से समझने की जरूरत पर जोर दिया है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मोटापा मुख्य रूप से शरीर की आवश्यकता से ज्यादा कैलोरी ग्रहण करने के कारण होता है, साथ ही सिडेंटरी लाइफस्टाइल, जंक फूड, शुगरी ड्रिंक्स और नींद की कमी भी इसके प्रमुख कारण हैं. मोटापा कार्डियोवस्कुलर डिजीज, स्ट्रोक, टाइप-2 डायबिटीज, 13 प्रकार के कैंसर, हड्डियों से जुड़ी समस्याएं और फर्टिलिटी पर असर डाल सकता है. इसके अलावा, मोटापे से स्लीप एप्निया जैसी समस्या भी हो सकती है, क्योंकि गले के आसपास फैट जमा होने से श्वसन नलिका दबने लगती है, जिससे नींद के दौरान सांस लेने में कठिनाई होती है. मोटापा कैंसर के खतरे को भी कई गुना बढ़ा सकता है, जिससे 13 प्रकार के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है.

BMI अब नहीं है मोटापे की सही पहचान

भारत में डॉक्टर पिछले 15 सालों से बॉडी मास इंडेक्स (BMI) का उपयोग मोटापे का आकलन करने के लिए कर रहे थे, लेकिन अब नई गाइडलाइन्स के अनुसार, BMI केवल एक सहायक उपकरण बनकर रह गया है. BMI में केवल वजन और लंबाई का अनुपात होता है, जो कभी-कभी सटीक जानकारी नहीं देता है. इससे यह नहीं पता चलता कि वजन मसल्स का ज्यादा है या फैट का. यही वजह है कि अब डॉक्टर मोटापे का अधिक वैज्ञानिक और क्लिनिकल तरीके से आकलन करने की कोशिश कर रहे हैं.

BMI की कमियां

BMI की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह शरीर में फैट और मसल्स का अंतर नहीं कर पाता. उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति का BMI 30 है, लेकिन उसका वजन मसल्स और बोन डेंसिटी के कारण ज्यादा है, तो वह फिट होने के बावजूद BMI के हिसाब से मोटा दिखाई देगा. वहीं, कोई व्यक्ति जिसका BMI सामान्य है, लेकिन शरीर में फैट ज्यादा है, उसे फिट माना जाएगा. यही कारण है कि नई रिसर्च में मोटापे के बारे में और भी वैज्ञानिक तरीके से विचार किया जा रहा है.

लोअर एब्डॉमिन में जमा फैट है ज्यादा खतरनाक

नई रिसर्च में यह स्पष्ट किया गया है कि कमर के आसपास या लिवर और हार्ट के पास जमा हुआ फैट ज्यादा खतरनाक होता है. यह शरीर के अन्य हिस्सों में जमा फैट से अधिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है. इस प्रकार के फैट के कारण विभिन्न क्रॉनिक बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है.

गाइडलाइंस

मोटापे से जुड़ी नई गाइडलाइंस के अनुसार अब इसे दो स्टेज में बांटकर इलाज किया जाएगा:

  1. प्रीक्लिनिकल ओबिसिटी: इसमें मोटापे के कारण कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं हुई है, लेकिन इसके कारण गंभीर बीमारियों जैसे टाइप-2 डायबिटीज, कार्डियोवस्कुलर डिजीज और कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है.
  2. क्लिनिकल ओबिसिटी: इसमें मोटापे के कारण शरीर के अंगों की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है. इससे रोजमर्रा के काम में दिक्कत हो सकती है, और इसमें जोड़ो का दर्द, सांस लेने में परेशानी, हार्ट फेल्योर, और ऑर्गन डिस्फंक्शन जैसी समस्याएं शामिल हैं.

मोटापा अब केवल एक व्यक्तिगत समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है. WHO और डॉक्टरों का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए हर किसी को अब से ही सक्रिय कदम उठाने होंगे. वजन घटाने के लिए आज से ही अपनी जीवनशैली में सुधार लाकर, सही आहार और नियमित व्यायाम के जरिए मोटापे पर नियंत्रण पाएं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं.

मोटापा कैसे कम करें ?

स्वस्थ आहार:

खाने में फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करें. जंक फूड, तला-भुना, शुगर-युक्त ड्रिंक्स और अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थों से बचें. ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त चीजें जैसे (सलाद और पत्तेदार सब्जियां) खाएं. इसके अलावा तीन समय के अधिक भोजन के बजाय छोटे-छोटे भोजन करें और खाने की मात्रा को नियंत्रित करें. रात को ज्यादा देर से खाना खाने से बचें.

नियमित व्यायाम:

हर दिन कम से कम 30 मिनट तक शारीरिक गतिविधि करें. इसमें तेज़ चलना, दौड़ना, योग, साइकिल चलाना, तैराकी या अन्य व्यायाम शामिल हो सकते हैं.

पानी का सेवन:

दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं. यह शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है.


नींद का महत्व:

रात में 7-8 घंटे की पूरी नींद लें. नींद की कमी वजन बढ़ने का कारण बन सकती है.

मनोबल और स्ट्रेस का प्रबंधन :

अत्यधिक तनाव भी वजन बढ़ने का एक कारण हो सकता है. इसे ध्यान, योग, प्राणायाम, और हंसी की मदद से कम करने की कोशिश करें. वहीं वजन घटाना एक धीमी प्रक्रिया होती है, इसलिए निरंतरता बनाए रखें और धैर्य रखें. छोटे-छोटे लक्ष्य तय करें और उन्हें पूरा करने का प्रयास करें.