उमेश यादव, सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले में गुरुवार को आयोजित डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के 33वें दीक्षांत समारोह में आस्था और सत्ता दोनों का समागम देखने को मिला। समारोह में प्रख्यात संत स्वामी रामभद्राचार्य महाराज की उपस्थिति ने कार्यक्रम को आध्यात्मिक गरिमा प्रदान की।  वहीं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, कुलपति डॉ. नीलिमा गुप्ता सहित कई जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने समारोह में भाग लिया।

नितिन गडकरी कार्यक्रम में वर्चुअल हुए शामिल  

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का सागर दौरा अचानक खराब मौसम के कारण रद्द करना पड़ा। वे मध्यप्रदेश के जबलपुर से इस समारोह में वर्चुअल जुड़े और विद्यार्थियों को संबोधित किया। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट विद्यार्थियों को डिग्रियां और स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। विश्वविद्यालय प्रांगण में आयोजित भव्य समारोह में विद्यार्थियों के चेहरों पर सफलता की चमक साफ दिखाई दी। कुलपति डॉ. नीलिमा गुप्ता ने स्वागत भाषण में कहा कि “विश्वविद्यालय अकादमिक गुणवत्ता के साथ-साथ संस्कार और संस्कृति का भी पोषण करता है।”

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स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में विद्यार्थियों को जीवन में धैर्य, विवेक और सेवा भाव को अपनाने की सीख दी। उन्होंने कहा कि “ज्ञान सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और मानव सेवा के लिए होना चाहिए।” उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि “सागर विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश का गौरव है और यहां के विद्यार्थी आने वाले समय में देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।” मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भी विश्वविद्यालय के सतत विकास और शैक्षणिक नवाचारों की सराहना की कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों, विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र, विभिन्न विभागों के डीन, शिक्षकगण, और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं व अभिभावक उपस्थित रहे।

स्वामी रामभद्राचार्य ने माथे से लगाई डी लिट् की उपाधि

दीक्षांत समारोह में कुल 1225 विद्यार्थियों ने पंजीयन कराया था, जिनमें से 957 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी जा रही है। इनमें पीजी के 426, यूजी के 482 और पीएचडी के 49 विद्यार्थी शामिल हैं। समारोह में पद्म विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को मानद डी लिट् की उपाधि से सम्मानित किया। उन्होंने उपाधि लेकर माथे से लगाई।

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