विक्रम मिश्र, लखनऊ. अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाला मस्जिद ट्रस्ट भारी तंगी से गुजर रहा है. पिछले 4 सालों में वार्षिक आंकड़ों के हिसाब से महज 1 करोड़ रुपये ही ट्रस्ट की तरफ से जुटाए गए हैं. राम जन्मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद राम जन्मभूमि के एवज में अयोध्या के धन्नीपुर में मस्जिद के लिए जमीन आवंटित की गई थी. जिस पर मस्जिद, अस्पताल और सामुदायिक रसोई घर के साथ कई अन्य प्रकार की गतिविधियां संचालित करने की प्लानिंग है. जिसकी जिम्मेदारी इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट खुद ही संभाल रहा है. हालांकि ट्रस्ट की मानें तो आर्थिक तंगी और धन की कमी के चलते पहले से चल रही चार समितियों को भंग कर दिया गया है.
अयोध्या में धन्नीपुर मस्जिद के निर्माण कार्य के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के विकास के लिए बनी एक समिति का निर्माण किया था. जिसके तहत अलग-अलग मदों में धन की व्यवस्था और मस्जिद के विकास कार्यों की समीक्षा इस समिति के द्वारा की जानी सुनिश्चित की गई थी. लेकिन धन के अभाव में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सभी समितियों को भंग करने का ऐलान कर दिया है. जबकि धन को एकत्रित करने के लिए अब पुरजोर कोशिशें की जा रही है. आईआईसीएफ के प्रमुख और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी ने बताया कि 19 सितंबर को हुई आईआईसीएफ की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
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मस्जिद में कहां तक हुआ काम
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 9 नवंबर 2019 को राम जन्मभूमि अयोध्या में धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ भूमि मस्जिद के लिए आवंटित की थी. लेकिन अपेक्षा के अनुरूप कार्य नहीं हुआ है. इंडो इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट के सचिव अतर हुसैन ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि ट्रस्ट की तरफ से मस्जिद से सम्बंधित सभी जरूरी कागजात केंद्र सरकार समेत अन्य विभागों को मार्च में ही उपलब्ध करवा दिए गए थे. जबकि मस्जिद निर्माण के लिए आवश्यक मंजूरियों को भी समय से पूरा कर लिया गया है. जिन समितियों को भंग किया गया है, उनमें प्रशासनिक समिति, वित्त समिति, विकास समिति-मस्जिद मोहम्मद बिन अब्दुल्ला और मीडिया एवं प्रचार समिति शामिल हैं.
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