सुधीर दंडोतिया, भोपाल। देश में सर्वाधिक वन आवरण होने के बाद भी मध्यप्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। हवा में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा का कारण सड़क की धूल, वाहन और उद्योगों के साथ-साथ पराली है। स्थिति यह हो गई है कि पराली जलाने में मध्यप्रदेश ने पंजाब और हरियाणा को भी पीछे छोड़ दिया है। 15 सितंबर से 14 नवंबर 2024 तक देश में सर्वाधिक 8,917 पराली जलाने की घटनाएं प्रदेश में दर्ज हुईं। यह बात कृषि अभियांत्रिकी विभाग भोपाल द्वारा जारी पराली जलाने की घटनाओं के सेटेलाइट डेटा से सामने आई है।

मध्य प्रदेश में 15 सितंबर से 14 नवंबर 2024 के बीच पराली जलाने की जो घटनाएं सामने आईं उनमें सर्वाधिक 489 श्योपुर में दर्ज की गईं। जबलपुर में 275 घटनाएं हुईं तो ग्वालियर, नर्मदापुरम्, सतना, दतिया जैसे जिलों में लगभग 150-150 घटनाएं दर्ज की गईं। यह डेटा पंजाब व हरियाणा जैसे कृषि में अग्रणी प्रदेशों से भी अधिक है। दिल्ली की सीएम आतिशी ने दावा किया कि पराली की घटनाएं केवल पंजाब में कम हुई है। मध्यप्रदेश में सबसे अधिक पराली जलाई जा रही है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में भी ये घटनाएं बढ़ रही हैं, जबकि पंजाब ने घटनाएं कम की हैं।

पराली जलाता किसान

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