रायपुर। एमएमआई नारायणा अस्पताल में जन्म से दिल की बीमारी से ग्रसित 54 वर्षीय मरीज की स्थिति को देखते हुए कैथेटर इंटरवेंशन के जरिए एओर्टा को जोड़ने के साथ स्टेंटिंग कर कटी हुई आर्च सेगमेंट को खोला गया. इसके साथ रक्तचाप के नियंत्रित होते ही उच्च दबाव में काम कर रहे दिल को भी राहत मिली. इस तरह की प्रक्रिया छत्तीसगढ़ और मध्य भारत में अब तक नहीं की गई थी.

जानकारी के अनुसार, 54 वर्षीय मरीज एमएमआई नारायणा अस्पताल के हृदय रोग ओपीडी में आए थे. उनकी इकोकार्डियोग्राफी और सीटी एंजियोग्राफी करवाई गई, जिसमें पता चला कि दिल के बायें हिस्से से निकलने वाली मुख्य रक्त वाहिनी (थोरेसिक एओर्टा) बहुत गंभीर रूप से ब्लॉक हो गई थी. इतना कि समय के साथ यह सीने के स्तर पर कट गई थी. दोनों हिस्से एक-दूसरे से पूरी तरह से अलग हो गए थे.

शरीर के निचले हिस्से में खून की सप्लाई कुछ छोटी-छोटी नई रक्त वाहिनियों (कोलेटरल्स) के जरिए हो रही थी, जो सिर और हाथों की रक्त वाहिनियों से निकलकर कटी हुई एओर्टा से जुड़ गई थीं. लेकिन इस स्थिति में कटे हुए हिस्से के ऊपर वाली एओर्टा में बहुत ज्यादा दबाव पड़ रहा था, जो इन कोलेटरल्स में खून पहुंचाने का मुख्य स्रोत थी. इसके साथ ही बढ़ती उम्र के साथ उच्च रक्तचाप की समस्या भी बढ़ गई थी, जिसकी वजह से मरीज को सिरदर्द, दिल की धड़कन बढ़ने जैसी गंभीर समस्याएं हो रही थीं.

ऐसी स्थिति में कैथेटर इंटरवेंशन के जरिए एओर्टा को जोड़ने का फैसला लिया गया. 1 नवंबर को मरीज का सफलतापूर्वक स्टेंटिंग किया गया और कटी हुई आर्च सेगमेंट को खोला गया. इसके बाद, उनके रक्तचाप को नियंत्रित करना आसान हो गया और उच्च दबाव के तहत काम कर रहे दिल को भी राहत मिली. कैथ लैब में सबसे मुश्किल और जोखिम भरा काम था दोनों हिस्सों को फिर से जोड़ना.

यह एक उच्च जोखिम वाली प्रक्रिया थी, जिसे अस्पताल की कार्डियोलॉजी टीम (डॉ. सुमनता शेखर पाधी, डॉ. किंजल बख्शी, डॉ. राकेश चंद) ने सफलतापूर्वक पूरा किया. इसमें कैथ लैब टेक्नोलॉजिस्ट्स, नर्सिंग स्टाफ और कार्डियक आईसीयू की डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

अस्पताल के सुविधा निदेशक अजीत कुमार बेल्लमकोंडा ने कार्डियोलॉजी विभाग को इस जटिल प्रक्रिया की सफलता के लिए बधाई दी और प्रोत्साहित किया. यह एक बहुत ही दुर्लभ और असामान्य मामला था, जिसे प्रदेश में सुलझाया गया.

एमएमआई नारायणा अस्पताल के बारे में

रायपुर स्थित एमएमआई नारायणा अस्पताल अगस्त 2011 को अस्तित्व में आया, जब मौजूदा 56 बेड वाले अस्पताल को 157 बेड वाले अस्पताल में बदल दिया गया, जो अत्याधुनिक उपकरणों, सुविधाओं, नवीनतम ऑपरेशन थिएटरों और चिकित्सा विशेषज्ञता से सुसज्जित है.

आज अस्पताल 250 बेड की क्षमता के साथ मध्य भारत का एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान बन गया है, और कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, सामान्य और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी, ऑन्कोलॉजी और ऑर्थोपेडिक्स के क्षेत्र में व्यापक और उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कर रहा है.

अस्पताल का भवन क्षेत्र लगभग 1.26 लाख वर्ग फुट है और यह 3 एकड़ के परिसर में फैला हुआ है. रायपुर शहर के मध्य भाग में स्थित, यह अस्पताल रोगियों के लिए त्वरित स्वस्थ होने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है.