दिल्ली के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों के छात्रों और डॉक्टरों के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए नए आवास बनाने की योजना बनाई जा रही है. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना(Vinay Kumar Saxena) ने 19 जून को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (REkha Gupta)और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज सिंह(Pankaj Singh) के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, लोक नायक अस्पताल, जीबी पंत अस्पताल और गुरु नानक आई सेंटर के सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की समीक्षा की गई. इस बैठक में पीडब्ल्यूडी को निर्देश दिया गया है कि वह कम से कम 4000 छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए आवास और आवश्यक ढांचे के निर्माण की योजना तैयार करे.

बैठक में बताया गया कि पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल कॉम्प्लेक्स में सुरक्षा, आवास, ढांचागत मरम्मत और अतिक्रमण की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डीन ने जानकारी दी कि 1958 में स्थापित इस संस्थान में छात्रों के लिए केवल 200 आवास उपलब्ध हैं, जबकि वर्तमान में 3200 से अधिक छात्र यहां पढ़ाई कर रहे हैं. स्थिति इतनी विकट है कि दो लोगों के लिए बनाए गए एक कमरे में 6-7 छात्र रह रहे हैं, जिससे पढ़ाई के लिए भी स्थान नहीं मिल पा रहा है.

डीन ने बताया कि रेजिडेंट डॉक्टरों को गलियारों और नर्सिंग स्टेशनों के बाहर सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. बैठक में यह जानकारी साझा की गई कि PWD द्वारा छात्रों और डॉक्टरों के लिए नए आवास का निर्माण ठप पड़ा है, क्योंकि जिस भूमि पर निर्माण होना था, वह अतिक्रमणकारियों और भू-माफियाओं के कब्जे में है. इसके अलावा, परिसर के निकट ASI द्वारा संरक्षित स्मारकों की उपस्थिति के कारण मरम्मत कार्य के लिए आवश्यक अनुमति भी नहीं मिल पा रही है.

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‘कई इमारतें जर्जर हालत में’

मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के डीन ने बैठक में बताया कि 2023-24 में ASI ने तीन महीने की मरम्मत की अनुमति दी थी, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार से फंड न मिलने के कारण कार्य नहीं हो सका. इस स्थिति के चलते छात्रों को क्राउड फंडिंग के माध्यम से छोटी-मोटी मरम्मत करवानी पड़ी, जबकि कई इमारतें जर्जर अवस्था में हैं, जिससे प्लास्टर और कंक्रीट के टुकड़े गिरने का खतरा बना हुआ है, जो छात्रों और डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है. इसके अतिरिक्त, शौचालयों की संख्या पहले से ही कम है, और उनके अवैध उपयोग के कारण वे बदबूदार और अनुपयोगी हो गए हैं, साथ ही अतिक्रमण के चलते सीवर लाइनें भी ओवरलोड हो चुकी हैं.

दिल्ली के उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की बैठक में प्रस्तुत किए गए प्रेजेंटेशन में यह जानकारी सामने आई कि कई सरकारी अस्पतालों की एलएंडडीओ द्वारा आवंटित भूमि पर अवैध निर्माण किए गए हैं, जिनमें फ्लैट, मंदिर, मस्जिद, दुकानें, लैब, अखाड़े, आश्रम और स्कूल शामिल हैं. इसके अलावा, परिसर में चार अवैध झुग्गी क्लस्टर भी पाए गए हैं, और कई रिटायर्ड कर्मचारी सरकारी आवासों पर गैरकानूनी रूप से कब्जा कर उन्हें किराए पर दे रहे हैं. इन अतिक्रमणों के कारण आपराधिक गतिविधियों में भी वृद्धि हुई है.

बैठक में उपस्थित पुलिस अधिकारियों ने बताया कि परिसर में अवैध शराब बिक्री और ड्रग कार्टेल सक्रिय हैं, जो विशेष रूप से छात्राओं और महिला डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं. इसके अलावा, गेट के आसपास के अतिक्रमण के कारण परिसर अब एक सार्वजनिक मार्ग में तब्दील हो चुका है, जिससे कई बार एम्बुलेंस को भी अंदर आने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

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4000 छात्रों और डॉक्टरों के लिए आवास

बैठक में प्राप्त जानकारियों और अस्पतालों की दयनीय स्थिति पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गहरी नाराजगी व्यक्त की और संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए. दिल्ली सरकार के PWD को आदेश दिया गया है कि 4000 छात्रों और डॉक्टरों के लिए आवास और अन्य आवश्यक सुविधाओं की विस्तृत योजना तुरंत तैयार की जाए. साथ ही, दिल्ली पुलिस को परिसर में सुरक्षा बढ़ाने और आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए कहा गया है. इसके अतिरिक्त, अस्पताल परिसर में शराब और नशे के कारोबारियों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं, और सभी एजेंसियों तथा अस्पताल प्रबंधन को मिलकर भूमि का सर्वेक्षण कर अतिक्रमण की पहचान करने का आदेश दिया गया है, ताकि अतिक्रमण को हटाया जा सके.

बैठक में यह जानकारी सामने आई कि छात्रों और डॉक्टरों के लिए निर्धारित भूमि पर अवैध कब्जा हो चुका है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 25 एकड़ से अधिक क्षेत्र में झुग्गियां, फ्लैट, मंदिर, मस्जिद, स्कूल, अखाड़े, पैथ लैब और दुकानें स्थापित हो चुकी हैं. कुछ रिटायर सरकारी कर्मचारी भी सरकारी क्वार्टरों पर कब्जा जमाए हुए हैं और उन्हें किराए पर दे रहे हैं. इन अवैध बस्तियों में शराब और ड्रग्स का कारोबार भी हो रहा है, जिससे महिला छात्रों और डॉक्टरों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं. जिन परिसरों को सुरक्षित और नियंत्रित होना चाहिए था, वे अब सार्वजनिक रास्तों में तब्दील हो चुके हैं, और अतिक्रमण के कारण गेट को खुला या बंद रखने का कोई स्थायी समाधान नहीं रह गया है. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि अवैध पार्किंग और कब्जों के कारण एम्बुलेंस और मरीजों का परिसर में प्रवेश करना कठिन हो गया है. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री परिसर का संयुक्त दौरा करेंगे, और छात्रों तथा डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी समस्याएं साझा करेगा.

अफसरों को कार्ययोजना बनाने को कहा गया

पीडब्ल्यूडी को आवास और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए योजना बनाने का निर्देश दिया गया है.

दिल्ली पुलिस को परिसर में गश्त बढ़ाने और नशे तथा शराब के अवैध कारोबार के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.

भूमि-स्वामित्व एजेंसियों और अस्पताल अधिकारियों को अतिक्रमण की पहचान हेतु सर्वेक्षण करने का आदेश दिया गया है.

धार्मिक संरचनाओं के मामले में आगे की कार्रवाई के लिए इन्हें धार्मिक समिति को भेजने का निर्देश दिया गया है.

एमसीडी और शिक्षा विभाग को अवैध स्कूलों के खिलाफ नोटिस जारी करने के लिए कहा गया है.

एएसआई से स्मारकों पर अतिक्रमण हटाने के लिए तात्कालिक कार्रवाई की मांग की गई है.