कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। एक ओर मध्य प्रदेश कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान चल रहा है, दूसरी ओर पार्टी के अंदर मौजूद स्लीपर सेल उनके लिए बड़ी चुनौती बन गए है। ऐसे में दिग्विजय सिंह से स्लीपर सेल को लेकर पूछे गए सवाल के बाद एक चर्चा उठ रही है कि क्या कांग्रेस में सब कुछ “ऑल इज वेल” है ?
दरअसल, प्रदेश कांग्रेस संगठन सृजन अभियान के नियमों में हाल ही में थोड़ा बदलाव किया गया है। आईसीसी ऑब्जर्वर के अलावा अब पीसीसी ऑब्जर्वर भी अपनी अलग से रिपोर्ट केंद्रीय अलाकमान को मुलाकात कर सौपेंगे। इसमें पार्टी छोड़ गए नेताओं के समर्थकों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। जिला अध्यक्ष की गाइडलाइंस में कांग्रेस में मौजूद भाजपा नेताओं से जुड़े लोग को स्लीपर सेल्स कहा गया है। ऐसे नेता दावेदारी करेंगे तो भी उन्हें पैनल में नहीं लिया जाएगा।
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पूर्व सीएम ने किया किनारा
स्लीपर सेल के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिस तरह किनारा किया उसने पार्टी के अंदरखाने की मौजूदा हालात पर सवाल खड़े कर दिए है। दिग्गी से जब स्लीपर सेल से जुड़ा सवाल किया तो उनके तेवर बदले हुए नजर आए, उन्होंने सवाल का जबाब न देते हुए यह कह दिया कि इसके बारे में जीतू पटवारी साहब से ही पूछिए।

दिग्गी के बेटे ने कही ये बात
दिग्विजय सिंह जहां स्लीपर सेल के सवाल से पीछे हटे, वहीं उनके बेटे पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने कांग्रेस पार्टी के आलाकमान से सवाल का जबाब देते हुए मांग की है की कांग्रेस पार्टी उन लोगों को आगे करें जो दिन-रात पार्टी के लिए काम करते हैं। स्लीपर सेल सिर्फ एक व्यंग है, उन लोगों के लिए जो भीतरघात कांग्रेस के साथ करते हैं। यह हमारे लिए बहुत जरूरी है कि ऐसे स्लीपर सेल को चिन्हित किया जाए और हटाया जाए।
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मंत्री प्रद्युम्न ने कांग्रेस को बताया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को गिराकर BJP की सरकार बनाने में अहम रोल अदा करने वाले ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने दिग्विजय सिंह के स्लीपर सेल के सवाल से किनारा करने और कांग्रेस में सब कुछ ऑल इज वेल के सवाल पर तंज कसा है। मंत्री तोमर का कहना है कि वैसे तो यह मसला कांग्रेस का आंतरिक मामला है। लेकिन जो हालात वर्तमान में है उसे देखते हुए एक बार फिर कहा जा सकता है कि कांग्रेस अब पार्टी नहीं रही है। वह एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गयी है, जिसके अलग अलग CEO है।

बहरहाल 2028 को लेकर प्रदेश कांग्रेस मजबूती से संगठन सृजन अभियान को आगे ले जाने का दावा कर रही है। लेकिन जिस तरह अभियान के बीच स्लीपर सेल शब्द बार बार अटक और खटक रहा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह बड़ी चुनौती से कम नहीं है। लिहाजा इन हालात में सवाल फिर उठता ही है कि “क्या कॉंग्रेस में सब कुछ ऑल इज वेल है ?”
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