देहरादून। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में आज सचिवालय में ‘अटल भूजल योजना’ से संबंधित बैठक की गई. जिसमें अधिकारियों को योजना के तहत राज्य के जल संकट ग्रस्त जनपद चंपावत, हरिद्वार और उधमसिंह नगर में जल बजटिंग और कार्यक्रम के स्थानीय स्तर पर कार्यांवयन की देखरेख के निर्देश दिए गए. इसके अलावा विभिन्न राज्य एजेंसियों के बीच भूजल प्रबंधन के लिए समन्वय के लिए स्टेट लेवल स्टीयरिंग कमेटी गठित करने के निर्देश दिए गए.

बैठक में मुख्य सचिव ने कमेटी में लघु सिचाई विभाग को नोडल विभाग बनाते हुए पेयजल व स्वच्छता, शहरी विकास, शहरी विकास, पंचायती राज, सिचाई, ग्राम्य विकास विभाग और स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण (SARRA) को शामिल करने के निर्देश दिए. उन्होंने कमेटी को कार्यक्रम की नियमित रूप से मासिक समीक्षा के भी निर्देश दिए.

इसे भी पढ़ें- UK Government job: हजारों पदों पर निकली भर्तियां, जल्द करें अप्लाई, जानें कब से शुरु होगी भर्ती प्रक्रिया

सीएस ने नोडल विभाग को स्थानीय निकायों के स्तर पर मास्टर ट्रेनर्स नामित करने और उनके प्रशिक्षण के लिए आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए. यह मास्टर ट्रेनर वाटर प्लान और बजटिंग बनाने में सहायता करेंगे. उन्होंने जल संकटग्रस्त जनपदों चम्पावत, हरिद्वार और उधमसिंह नगर में अटल भूजल योजना के तहत कैच द रैन, अमृतसरोवर, स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण (SARRA) की गतिविधियों को भी शामिल करने के निर्देश दिए.

इसे भी पढ़ें- PCS अधिकारियों की बल्ले-बल्ले: 37 अधिकारी के ग्रेड-पे में बढ़ोतरी, लंबे समय का इंतजार हुआ खत्म

मुख्य सचिव ने जिलों में समुदायों और पंचायतों की विभिन्न गतिविधियों जैसे वाटर यूजर एसोसिएशन का गठन/मजबूती, भूजल आंकड़ों की निगरानी और प्रसार, जल बजट और ग्राम पंचायतवार जल सुरक्षा योजनाओं (डब्ल्यूएसपी) की तैयारी और उनके कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदारी के निर्देश दिए.

इसे भी पढ़ें- सोनप्रयाग में भूस्खलन से 5 की मौत, 3 घायल, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

मुख्य सचिव ने कहा कि अटल भूजल योजना का एक मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर पर व्यवहार में बदलाव लाना है. इसके लिए जल बजट और वाटर सिक्योरिटी प्लान तैयार करते समय जल उपलब्धता और उपयोग जैसे जल संबंधी डेटा का उपयोग किया जाएगा. ये योजनाएं सामुदायिक भागीदारी से तैयार की जाएंगी और योजना में इस्तेमाल किए गए डेटा को पूरे समुदाय तक पहुंचाया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- उत्तराखंड की कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने बरेली में दर्ज कराई FIR, इनके ऊपर लगाए गंभीर आरोप…

राधा रतूड़ी ने कहा कि जल संबंधी डेटा को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर (DWLR), वाटर लेवल साउंडर, रेन गेज, वाटर फ्लो मीटर जैसे विभिन्न उपकरण लगाए जाएंगे. इसके अलावा, भारत सरकार राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत सतही और भूजल दोनों के लिए विभिन्न रियल टाइम डेटा अधिग्रहण प्रणाली (RTDAS) भी स्थापित कर रही है.