अमित पवार, बैतूल। असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा पूरे प्रदेश में मनाया गया। इस दौरान अलग अलग आकार के रावण के पुतले का दहन कर कंरीन आतिशबाजी की गई। कहीं कहीं पर रामायण का मंचन भी किया गया। इसी कड़ी में बैतूल जिले के सारनी में रावण के लेटे हुए पुतले का दहन मजबूरी में किया गया।

दरअसल सतपुड़ा पॉवर हाउस के इंजीनियर रावण के पुतले को खड़ा करने में नाकाम साबित हुए। हाइड्रा मशीन की मदद से रावण के भारी भरकम पुतले को सीधा करने की कोशिश की गई। जब रावण का पुतला सीधा नहीं हुआ तो उसे लिटाकर ही दहन किया गया। जलाने के लिए भी पेट्रोल और प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया। बताया जाता है कि कंपनी के इंजीनियरों ने पुतले के निर्माण में ही गलत तकनीक अपनाई थी। इंजीनियरों की गलत तकनीकी के कारण रावण के पुतले का दहन घंटों देर से हुआ। इस बात को लेकर लोगों में नाराजगी भी देखी गई और आयोजन की जमकर खिल्ली उड़ी। लोगों का कहना था कि जीवन में पहली बार रावण के लेटे हुए पुतले देखे। सारनी के रामरख्यानी स्टेडियम में रावण दहन कार्यक्रम हुआ था।

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