कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य मे रैपिडो, ओला और उबर जैसी कंपनियों को बड़ा झटका दिया है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने एकल पीठ द्वारा बाइक टैक्सी सेवाओं को निलंबित करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इसका मतलब है कि सोमवार से पूरे राज्य में बाइक टैक्सी सेवाएं बंद हो जाएंगी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार की खंडपीठ ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार बाइक टैक्सी पॉलिसी बनाने में रुचि दिखाती, तो अंतरिम राहत पर विचार किया जा सकता था। लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह ऐसी कोई नीति नहीं बनाना चाहती। कोर्ट के इस फैसले से लाखों लोगों की रोजी रोटी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

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मामले की अगली सुनवाई 24 जून को

कोर्ट ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 जून को तय की है और दोनों पक्षों को 20 जून तक अपने तर्क पेश करने को कहा है। जब तक यह मामला पूरी तरह निपट नहीं जाता, तब तक 2 अप्रैल को आया बाइक टैक्सी सेवा निलंबन का आदेश लागू रहेगा।

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एग्रीगेटर्स ने मांगा था डेडलाइन बढ़ाने का समय

रैपिडो और अन्य कंपनियों ने 15 जून की डेडलाइन को आगे बढ़ाने की मांग की थी। उनका तर्क था कि जब तक राज्य में नियम नहीं बनते, तब तक केंद्र सरकार की मोटर व्हीकल्स एक्ट के दिशा-निर्देश लागू होने चाहिए। लेकिन राज्य सरकार का जवाब था कि केंद्र के नियम तभी लागू होते हैं जब राज्य उन्हें औपचारिक रूप से अपनाता है।

6 लाख से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी पर संकट

रैपिडो के अनुसार, कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवा से करीब 6 लाख से ज्यादा लोगों की रोजगार जुड़ी हुई है। कंपनी ने यह भी बताया कि उसने बंगलूरू में ही ड्राइवरों को 700 करोड़ रुपये का भुगतान किया और 100 करोड़ रुपये का जीएसटी जमा किया है। रैपिडो का दावा है कि उनके 75 प्रतिशत राइडर्स की मुख्य आय का स्रोत यही है। और वे हर महीने औसतन 35,000 रुपये कमाते हैं।

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पहले भी मिल चुका है अस्थायी विस्तार

2 अप्रैल को हाई कोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार से कहा था कि वह मोटर व्हीकल्स एक्ट की धारा 93 के तहत नियम बनने तक सभी बाइक टैक्सी सेवाओं को स्थगित करे। बाद में कोर्ट ने 14 मई से चार हफ्तों की मोहलत दी थी, जो अब 15 जून को खत्म हो रही है।

बंगलूरू में शुरू हुई थी यह सेवा, तेजी से हुई थी लोकप्रिय

बाइक टैक्सी सेवाएं कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू में 2016 में रैपिडो द्वारा शुरू की गई थीं और बहुत जल्दी लोकप्रिय हो गईं। इसके बाद ओला और उबर ने भी भारत के अन्य हिस्सों में यह सेवा शुरू की। शहरी इलाकों में सस्ते और तेज ट्रांसपोर्ट विकल्प के तौर पर यह सेवा लोगों को खासा भाती है। खासकर आखिरी मील की कनेक्टिविटी के लिए।

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