अमृतसर. दशहरे का त्योहार नजदीक है और अमृतसर में रावण के पुतले बनाने का काम जोर-शोर से चल रहा है। शहर के कारीगर विनोद कुमार, जो पांच पीढ़ियों से यह कला संजोए हुए हैं, इस बार लंदन से भी रावण के पुतले का ऑर्डर प्राप्त कर चुके हैं। विनोद बताते हैं कि उन्होंने 12 रावण के चेहरों का ऑर्डर लिया है, जिन्हें कूरियर के जरिए इंग्लैंड भेजा जाएगा।
विनोद के मुताबिक, पूरे रावण के पुतले को विदेश भेजना मुश्किल होता है, इसलिए वे केवल चेहरों को तैयार कर भेजते हैं। ये चेहरे 2 से 2.5 फीट लंबे होते हैं और स्थानीय लोग इन्हें पुतले के बाकी हिस्सों के साथ जोड़कर दशहरे के लिए उपयोग करते हैं। इस साल 12 चेहरों को भेजने की लागत लगभग 80,000 रुपये आई। आमतौर पर, उन्हें हर साल 15 चेहरों तक के ऑर्डर मिलते हैं।
विनोद और उनका परिवार अमृतसर में 100 फीट ऊंचा रावण का पुतला बना रहा है, जो शहर में सबसे बड़ा है। विनोद कहते हैं, “यह सिर्फ एक पुतला नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपरा और कला का प्रतीक है।” उनकी कला अब राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर विदेशों तक पहुंच रही है। उन्होंने यह कला अपने दादा और पिता से सीखी, जिसमें चेहरा बनाना सबसे जटिल और महत्वपूर्ण हिस्सा है।

विनोद का कहना है कि उनकी बेटी, जो देहरादून में पढ़ाई कर रही है, भी इस कला को सीख रही है और हर साल दशहरे के लिए अमृतसर आकर पुतले बनाने में मदद करती है। वे कहते हैं, “अगर हम इस परंपरा को नहीं संभालेंगे, तो यह धीरे-धीरे खत्म हो सकती है।” उनके परिवार को अमृतसर में रावण के पुतले बनाने वाले सबसे प्रमुख कारीगरों में गिना जाता है।
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