पटना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश से नक्सलवाद के पूर्ण खात्मे के लिए 31 मार्च 2026 की डेडलाइन तय की है। इस लक्ष्य की दिशा में केंद्र और राज्य सरकारें लगातार सख्त कदम उठा रही हैं। इसका असर अब जमीन पर साफ दिखने लगा है और देश में लाल आतंक तेजी से सिमटता नजर आ रहा है।
लगभग खत्म हुआ नक्सल प्रभाव
बिहार कभी नक्सल प्रभावित राज्यों में अग्रणी था, अब नक्सलवाद के अंतिम दौर में पहुंच चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स और बिहार पुलिस के अनुसार राज्य में अब केवल तीन नक्सली सक्रिय बचे हैं और सिर्फ चार जिले आंशिक रूप से प्रभावित हैं।
2019 से 2025 तक बड़ा बदलाव
2019 तक बिहार के 16 जिले नक्सल प्रभावित थे और हर साल 40 से अधिक नक्सली घटनाएं होती थीं। लेकिन बीते पांच वर्षों में ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां, मुठभेड़ों और सरेंडर के चलते हालात में अप्रत्याशित सुधार हुआ है।
4 जिले आंशिक रूप से प्रभावित
बिहार पुलिस के मुताबिक औरंगाबाद, गया, जमुई और लखीसराय जिले अब आंशिक रूप से नक्सल प्रभावित हैं। इन जिलों के भी सिर्फ सीमित इलाके ही नक्सली गतिविधियों से जुड़े हैं।
बिहार में सक्रिय बचे तीन नक्सली
नितेश यादव उर्फ इरफान: औरंगाबाद व पलामू के काला पहाड़ क्षेत्र में सक्रिय
मनोहर गंजू: गया, चतरा और पलामू के सीमित इलाके में गतिविधियां
सुरेश कोड़ा: जमुई, मुंगेर और लखीसराय के खड़गपुर पहाड़ी क्षेत्र में सक्रिय
पुलिस के अनुसार इन तीनों के पास 500 से अधिक लूटे गए हथियार होने की आशंका है।
विकास और सुरक्षा की दोहरी रणनीति
नक्सल मुक्त इलाकों में सरकार सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और बुनियादी सुविधाएं विकसित कर रही है। डीजीपी ने हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि बिहार जल्द ही पूर्णतः नक्सल मुक्त राज्य घोषित होगा।
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