ई दिल्ली. वाहन के प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र की वैधता खत्म हो चुकी है तो सावधान हो जाइए. 25 पेट्रोल पंप पर ईंधन लेते समय परिवहन विभाग के कैमरे ऐसे वाहनों के चालान काट रहे हैं. वर्तमान में इस तरह के करीब 22 हजार से अधिक वाहनों के चालान किए जा चुके हैं.

दिल्ली परिवहन विभाग ने पूर्व में मॉडल टाउन, भजनपुरा समेत कुल 4 पेट्रोल पंप पर कैमरे लगाकर ऐसे वाहनों की पहचान शुरू की थी. इसके सफल प्रयोग के बाद दिल्ली सरकार ने बीते मार्च में कैमरे से चालान करने के लिए इसे वाहन सॉफ्टवेयर (पंजीकृत वाहनों का डाटा बैंक) के साथ लिंक कर दिया था.

सजा का है प्रावधान

दिल्ली में प्रदूषण जांच नहीं कराने वाले वाहनों के खिलाफ 10 हजार रुपये के चालान का प्रावधान है. पहली बार तो चालान करके छोड़ दिया जाता है. दूसरी बार पकड़े जाने पर चालान के साथ-साथ 6 माह तक की सजा का भी प्रावधान वाहन मोटर अधिनियम में है.

पेट्रोल पंप पर एआई कैमरे लगाए गए हैं. ये वाहन सॉफ्टवेयर (जहां पंजीकृत वाहनों का डाटा है) से लिंक किए गए हैं. ये कैमरे पेट्रोल पंप आने वाले वाहनों के हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट रीड करते हैं.

कैमरे नंबर प्लेट को रीड करने के बाद वाहन सॉफ्टवेयर से उसके बारे में पूरी जानकारी निकालते हैं. इस से पता लगाया जाता है कि वाहन का प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र वैध है या नहीं.

अगर वाहन का प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र वैध नहीं है तो परिवहन विभाग के डाटा में रजिस्टर्ड नंबर पर सूचना जाएगी कि वह इसे दोबारा चेक कर लें. यह प्रक्रिया पूरी होने में कम समय लगता है.

वाहन सॉफ्टवेयर उस वाहन का डाटा 3 घंटे बाद फिर से चेक करता है. अगर उसने जांच करा लिया तो चालान नहीं होगा. अगर नहीं कराया तो ई-चालान जनरेट कर दिया जाएगा.

प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र की वैधता खत्म होने वाले वाहनों पर निगरानी, 25 पेट्रोल पंप पर ईंधन लेते समय चालान काट रहे, मार्च में वाहन सॉफ्टवेयर के साथ लिंक कर दिया था

30 मोबाइल टीमें तैनात

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण में वाहनों की अहम भूमिका होती है. सरकार प्रदूषण की जांच नहीं कराने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त है. इसलिए कैमरे के अलावा भी दिल्ली में 30 मोबाइल टीमें तैनात की गई है. यह टीमें अलग-अलग पेट्रोल पंप पर होती है. वाहनों के नंबर प्लेट के जरिए पता लगाती है कि प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र वैध हैं या नहीं.

3 घंटे में प्रदूषण जांच कराने का अलर्ट

दिल्ली परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, कैमरे से तुरंत चालान जारी नहीं किए जाते हैं. पहले वाहन मालिक को अलर्ट करके यह सूचित किया जाता है कि उनकी पीयूसीसी की वैधता खत्म हो चुकी है. इसकी जांच जल्द से जल्द करा लें. तीन घंटे बाद फिर से सॉफ्टवेयर की मदद से वाहन के प्रदूषण जांच की स्थिति का पता लगाया जाता है. अगर पीयूसीसी वैध नहीं मिला तो चालान जारी कर दिया जाता है. वह चालान www. parivahan.gov.in पर देखा जा सकता है.