गढ़चिरौली (महाराष्ट्र)। महाराष्ट्र के नक्सलगढ़ गढ़चिरौली से हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसमें एक दंपती को अपने बेटों की लाश कंधे पर लादकर 15 किलोमीटर पैदल चलकर जब तक अस्पताल पहुंचते, तब तक बेटों की मौत हो चुकी थी. एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने पर गमजदा माता-पिता बच्चों की लाश को एक बार फिर कंधों पर लादकर पैदल गांव पहुंचे.

दंपती ने बताया कि उनके बेटों बाजीराव रमेश वेलादी (6) और दिनेश रमेश वेलादी (3) को कई दिनों से बुखार आ रहा था. लड़कों के बीमार पड़ने से ठीक दो दिन पहले परिवार अपने रिश्तेदार के गांव पट्टीगांव में वैध के पास गए. उसने जड़ी-बूटियों के उपचार किए. लेकिन वैद्य का उपचार काम नहीं आया और बच्चों की मौत हो गई.

इस पर पति-पत्नी पट्टीगांव से बच्चों को कंधे पर लादे पैदल चलते हुए 15 किमी दूर जीमलगट्टा स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया. लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस नहीं होने की वजह से एक बार फिर दंपती को अपने बेटों के शवों को वापस पट्टीगांव ले जाने के लिए फिर उन्हें कंधे पर लादकर ले जाना पड़ा.

अस्पताल प्रशासन ने दी सफाई

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रताप शिंदे ने मौतों की पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों भाइयों की मौत की जानकारी सही है. मौत का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि लड़कों को स्वास्थ्य केंद्र लाने से पहले एक वैद्य के पास ले जाया गया था. अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई थी. हमने एम्बुलेंस सहायता की पेशकश की, लेकिन माता-पिता ने मना कर दिया. घटना की पूरी जांच की जाएगी और एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

प्राइवेट एंबुलेंस के लिए नहीं थे पैसे

दंपती ने बताया कि बेटे को अस्पताल में मृत घोषित कर लाश ले जाने को कहा गया. उन्हें अस्पताल से कोई एंबुलेंस नहीं मिली. प्राइवेट एंबुलेंस करके घर जाने को रुपये नहीं थे. गांव में सड़क नहीं होने से वहां तक एंबुलेंस वैसे भी नहीं पहुंच पाती है. इसलिए उन्होंने बेटे की लाश को कंधे पर रखकर चलना शुरू कर दिया और 15 किलोमीटर दूर अपने घर पहुंचे. रात होने की वजह से बेटे का दाह संस्कार अगले दिन किया. रातभर पति-पत्नी अपने बेटों की लाश के पास बैठे रोते रहे.

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