विक्रम मिश्र ,लखनऊ. योगी सरकार के वकील ने सरकार के अतिक्रमण अभियान में सहायक बुलडोजर के ऊपर अदालती ब्रेक लगने के बाद अब अतिक्रमण और सड़क पर अवैध कब्जा को अपना आधार बनाया है. जिसके तहत हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहराइच के महाराजगंज में लोक निर्माण विभाग की सड़क पर कथित अतिक्रमण को हटाने के विरुद्ध दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान फटकार लगाई है. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि हमने स्पष्ट रूप से पूछा था कि जिस सड़क पर कथित अतिक्रमण की बात कही जा रही है, उसकी श्रेणी बताई जाए? वहां कितने आशियाने बने हुए हैं?
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न्यायालय ने कहा कि उक्त स्पष्ट आदेश के बावजूद उपरोक्त बिंदुओं पर राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 नवंबर की तय की है. साथ ही दो दिनों में सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश भी दिया है.
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आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की जनहित याचिका के एवज में पारित किया. बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने ध्वस्तीकरण के नोटिस से प्रभावित लोगों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय देने का आदेश दिया था. साथ ही न्यायालय ने मुख्य स्थाई अधिवक्ता को आदेश दिया था कि वह मामले में सरकार से विस्तृत निर्देश प्राप्त करें कि जिस सड़क पर कथित अतिक्रमण का आरोप है उस सड़क की कैटेगरी क्या है. कुंडसार, महसी, नानपारा, महाराजगंज रोड के किलोमीटर 38 के दायरे में कितने घर बने हैं और इस सड़क के संबंध में कौन से नियम लागू होते हैं. न्यायालय ने कहा कि तथ्यों के संबंध में पूछे गए इन प्रश्नों का कोई जवाब नहीं दिया गया.
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