Champai Soren: झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Elections) के पहले चरण के मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 13 नवंबर को पहले चरण का मतदान होगा। इसी बीच पूर्व सीएम और बीजेपी नेता चंपई सोरेन के एक पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस पोस्ट के जरिए सोरेन ने सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) और झामुमो (JMM) पर निशाना साधा है। सोरेन ने सिदो कान्हु के वंशज मंडल मुर्मू के बीजेपी में शामिल होने और बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले में प्रतिक्रिया दी है।
एक्स पर उन्होंने लिखा कि- “संथाल हूल के अमर शहीद सिदो कान्हु के वंशज मंडल मुर्मू भी बीजेपी में शामिल हो गए। क्या आप जानना चाहते हैं कि आदिवासी समाज से जुड़े मुद्दों को उठाने वाले इस युवक ने यह निर्णय क्यों लिया? इसे समझने के लिए आपको संथाल परगना की वीर भूमि भोगनाडीह की परिस्थिति को देखना होगा। वहां जाते वक्त रास्ते में, और वीरों के उस पवित्र गांव में भी आपको सड़क किनारे कई नए पक्के मकान मिलेंगे, जिस पर एक राजनीतिक दल के झंडे दिखेंगे।
चंपाई सोरेन ने दावा किया कि इनमें से अधिकतर मकान बांग्लादेशी घुसपैठियों के हैं और उनपर लगे झंडे बताते हैं कि उन्हें आदिवासियों की जमीन लूटने, बहू-बेटियों की अस्मत से खिलवाड़ करने के साथ ही आदिवासी समाज के ताने-बाने को बिगाड़ने की हिम्मत कहां से मिलती है। यह झंडा बाकी लोगों को एक दल विशेष के इन दामादों से नहीं उलझने की चेतावनी देता है।
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उन्होंने आगे लिखा कि जिस माटी, बेटी और रोटी के लिए हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों को झुका दिया था, आज उसी संथाल परगना की माटी पर इन घुसपैठियों का कब्जा है। पाकुड़, साहिबगंज और अन्य स्थानों पर आदिवासी समाज अल्पसंख्यक बन चुका है। जिकरहट्टी, मालपहाड़िया, तलवाडांगा, किताझोर समेत दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां अब आदिवासी ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते। उनके घर, उनकी जमीन तथा उनके खेतों पर घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया है।
देश का क्राइम कैपिटल बना दिया
हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधते हुए चंपाई सोरेन ने कहा कि आदिवासियों की हितैषी होने का दंभ भरने वाली यह सरकार हाई कोर्ट में झूठा ऐफिडेविट फाइल कर सच को नकार रही है। जब हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने का आदेश दिया तो ये लोग उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए। उन्होंने कहा कि इसी से पता चलता है कि इनकी प्राथमिकता आदिवासियों को नहीं, बल्कि घुसपैठियों को बचाना है। कई तरह की आपराधिक गतिविधियों में लिप्त इन घुसपैठियों ने संथाल परगना को देश का क्राइम कैपिटल बना दिया है। जामताड़ा और साहिबगंज में देश भर की पुलिस नशे के सौदागरों, साइबर अपराधियों और सोने के तस्करों आदि की तलाश में आए दिन छापेमारी करती रहती है।
उनके चेहरे से आदिवासियत का नकाब उतार फेंके
पूर्व सीएम ने हमला बोलते हुए कहा कि इनके दुस्साहस को आदिवासी समाज की बेटी रुबिका पहाड़िया की हत्या से समझिए, जिसके 50-60 टुकड़े कर दिए गए थे। अंकिता को जिंदा जलाने की घटना याद है न आपको? वोट बैंक के लालच में ऐसे मामलों पर आंखें मूंदने और वीर सिदो-कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की हत्या के मामले में परिवार को न्याय दिलवाने में विफल रहने वाले, कम से कम आदिवासियों के हितैषी तो नहीं हो सकते।
चंपाई सोरेन ने लिखा कि बीजेपी में शामिल होने के बाद मंडल मुर्मू को धमकियां दी जा रही हैं, उनके खिलाफ पोस्टर लगाए जाने की सूचना मिली है। इनसब के पीछे वही लोग हैं जिन्हें लगता है कि वे आदिवासियों को हर मुद्दे पर बेवकूफ बना सकते हैं, डरा-धमका कर चुप करवा सकते हैं। उन लोगों का असली डर यह है कि कहीं हम लोग उनके चेहरे से आदिवासियत का नकाब ना उतार फेंके। कहीं दुनिया को उनकी सच्चाई न पता चल जाए।
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