सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद किसी व्यक्ति को स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होगी या नहीं, यह उसके द्वारा जीवित रहते किए गए कर्मों पर निर्भर करता है. गरुड़ पुराण इसे लेकर विस्तार से वर्णन किया गया है. गरुड़ पक्षी को भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है और स्वयं भगवान हरि ने जीवन, मृत्यु, स्वर्ग, नरक और पुनर्जन्म के बारे में बताया है. इसमें बताया गया है कि नरक कितने प्रकार के होते हैं और किस कर्म के कारण व्यक्ति को कैसा नरक मिलता है. आइये इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें…

नरक के प्रकार

गरुड़ पुराण में कुल 84 लाख नरकों का उल्लेख है और इनमें से 21 नरकों को घोर नरक कहा जाता है. इसमें 21 गंभीर नरक: तामिस्त्र, लौहशंकु, महारौरव, शाल्मलि, रौरव, कुडमाल, कालसूत्र, पुतिमृतिक, संघत, लोहितोद, सविष, संप्रतपन, महानिरय, काजोल, संजीवन, महापथ, अवीचि, अंगतमिस्त्र, कुंभीपक, संप्रतपन और तपन. यह नर्क अनेक प्रकार की यातनाओं से भरा है तथा इसमें एक नहीं, अपितु अनेक यमदूत रहते हैं. जो नरक में कष्ट भोगने वालों के लिए है.

1. गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो पुरुष और महिलाएं अनैतिक यौन इच्छाओं में लिप्त होते हैं. रिश्ते शुभ तिथियों, व्रतों और श्राद्ध के दिनों में बनते हैं. वह पाप से पीड़ित होकर तामिस्त्र, अंधतामिस्त्र और रौरव नामक नरकों में कष्ट भोगता है.

2. ऐसा व्यक्ति देवताओं को प्रसाद नहीं चढ़ाता तथा केवल अपने परिवार को ही भोजन कराता है. ऐसा व्यक्ति नरक का भागीदार बनता है. ऐसे व्यक्ति को कुड्मल, कालसूत्र और पुतिमृत्तिक जैसे नरक भोगने पड़ सकते हैं.

3. जो व्यक्ति गलत रास्ते पर चलता है और दूसरों के प्रति द्वेष रखता है, वह अपना और केवल अपने परिवार का पेट पालता है. ऐसा व्यक्ति मृत्यु के बाद अकेला ही नरक में जाता है. उनके साथ कोई नहीं है.

4. जो मनुष्य जो ईश्वर को भूल जाता है और केवल अपने परिवार की देखभाल करने में ही लगा रहता है. वह किसी भी साधु-संत को दान नहीं देते. ऐसा व्यक्ति नरक में जाता है, पीड़ित बनता है और कष्ट भोगता है.

5. वह व्यक्ति जो अनैतिक कार्य करके अपने परिवार के लिए धन संचय करता है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति का धन उसके जीवनकाल में ही लूट लिया जाता है तथा मृत्यु के बाद सभी को नरक भोगना पड़ता है.