Vastu Tips: कुबेर रत्न एक अद्भुत रत्न है, जो व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि और स्थिरता प्रदान करता है. इसे गले में लॉकेट के रूप में या अंगूठी में धारण किया जा सकता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा धन के देवता भगवान कुबेर का स्थान है, और यदि इस दिशा में दोष हो, तो कुबेर रत्न धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
उत्तर दिशा का महत्व
भगवान कुबेर उत्तर दिशा में निवास करते हैं, और यह दिशा सफलता, उन्नति और धन की प्राप्ति में सहायक होती है. यदि इस दिशा में कोई दोष हो, तो यह आर्थिक बाधाओं को जन्म दे सकता है. उदाहरण के लिए, उत्तर दिशा में शौचालय या सीढ़ियां होने से कुबेर दोष उत्पन्न होता है, जिससे आर्थिक अस्थिरता आ सकती है.
कुबेर रत्न का प्रभाव
यह विशेष रत्न मेडागास्कर, ब्राजील और इंग्लैंड में पाया जाता है और इसमें ऐसी ऊर्जा होती है, जो व्यक्ति के जीवन में प्रगति लाने में सहायक होती है. यदि उत्तर दिशा में कोई दोष हो, तो कुबेर रत्न को धारण करने से धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगता है.
कुबेर रत्न धारण करने की विधि (Vastu Tips)
- इसे बुधवार के दिन धारण करें.
- शुद्धिकरण के लिए इसे गंगा जल से धोकर शालिग्राम के साथ रखें.
- धारण करते समय “ॐ ह्रीं श्री कुबेर, यक्षाय, धनधानाय देहि कुरु कुरु श्री ह्रीं ॐ” मंत्र का जाप करें.
- इसे अमेजोनाइट, पन्ना, गार्नेट या फिरोजा के साथ धारण करने से शीघ्र फल मिलता है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें