भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सौर ऊर्जीकरण अंतर्गत वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट के लक्ष्य को हासिल करने संबंधी स्वप्न को साकार करने में अपना योगदान देने के लिये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है। प्रदेश में निरंतर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये एक के बाद एक संयंत्र लगाये जा रहे हैं। इनसे प्रदेश की ऊर्जा उत्पादन क्षमता में सौर ऊर्जा की भागीदारी निरंतर बढ़ती जा रही है।  

कृषि फीडर का किया जाना है सोलराइजेशन

कृषकों की ऊर्जा आवश्यकताओं, मुख्य रूप से सिंचाई आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, उनके करीब सौर ऊर्जा का उत्पादन कर, आय के अवसर उपलब्ध करवाते हुए, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्‍थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना लागू की गयी है। पीएम-कुसुम योजना के घटक कुसुम-सी में ग्रिड संबंध सिंचाई पम्‍पस् को ऊर्जीकृत करने के लिये कृषि फ़ीडर का सोलराइजेशन किया जाना है। योजना में सोलर संयंत्र स्थापना के लिये रु.1.05 करोड़ प्रति मेगावाट केन्‍द्रीय सहायता राशि का प्रावधान है। परियोजना के विकासकों एवं अन्य स्टेक होल्डर्स को निगम द्वारा इस निविदा, वित्तीय  प्रबंधन, तकनीकी जानकारी देने के लिये “सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना समिट” 10 जून को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित होगी।

सौर ऊर्जा का उपयोग करने के जगह उत्पादन के साथ उपयोग करना भी

सौर ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण पक्ष उपयोग करने के स्थान (बिंदु) पर इसके उत्पादन के साथ उपयोग करना भी है। सौर ऊर्जा के व्यापक उपयोग के लिये इन परियोजनाओं को विकेंद्रीकृत रूप से स्थापित किया जा सकता है। सरकार कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए किसानों के हित में सिंचाई के लिये ऊर्जा की 10 घंटे आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लगभग 8000 समर्पित कृषि फीडर स्थापित किए गए हैं। इनका निरंतर विस्तार प्रक्रियाधीन है।

  कृषि फ़ीडर सोलराइजेशन को विस्तार दिया जा रहा  

प्रदेश में 33/11 किलो वोल्ट विद्युत उप केन्द्रों पर सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना के समग्र लाभ को दृष्टिगत रखते हुए कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में पीएम-कुसुम योजना के घटक कुसुम-सी में प्रदत्‍त लक्ष्‍य तक सीमित न रखते हुए और योजना को तकनीकी रूप से अधिक उपयोगी बनाते हुए कृषि फ़ीडर सोलराइजेशन को विस्तार दिया जा रहा है। इसके विस्तारीकरण के लिये ही ‘’सूर्य-मित्र कृषि फीडर” योजना क्रियान्वित की जा रही है।

किसान को सिंचाई के लिये दिन में बिजली उपलब्ध कराना उद्देश्य 

‘’सूर्य-मित्र कृषि फीडर” योजना के प्रमुख उद्देश्य म.प्र. पॉवर मैनेज़मेंट कंपनी लिमिटेड को कम दर पर विद्युत उपलब्ध कराना है। सीधे विद्युत खपत स्थल पर ऊर्जा प्रदाय कर पारेषण हानि को कम करना, कृषि लोड का दिन में प्रबंध करना, किसान को सिंचाई के लिये दिन में बिजली उपलब्ध कराना भी इसका उद्देश्य है ताकि कृषकों की जीवन शैली को बेहतर बनाया जा सके। इसका उद्देश्य 33/11 किलो वोल्ट विद्युत वितरण उप केन्द्रों पर स्थापित पॉवर ट्राँसफार्मर पर ओवर-लोडिंग के परिणाम स्वरूप लो-वोल्टेज एवं पॉवर कट की समस्या को कम करना भी है। इन परियोजनाओं की स्थापना से विद्युत उपकेन्द्रों के उन्नयन पर आने वाले वित्तीय भार से बचा जा सकेगा। साथ ही बिना किसी निवेश के ग्रिड स्‍टेबिलिटी प्रबंधन किया जा सकेगा।

शासन के साथ 25 वर्षों तक विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा

‘’सूर्य-मित्र कृषि फीडर” योजना में 100 प्रतिशत क्षमता तक विद्युत सब-स्टेशन की सौर परियोजनाओं की स्थापना की जा सकेगी। इन परियोजनाओं के विकासकों के चयन के लिये म.प्र. ऊर्जा विकास निगम द्वारा निविदा जारी की गयी है। इसमें शासन के साथ 25 वर्षों तक विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा। निविदा में 1900 से अधिक सब-स्टेशन पर 14 हजार 500 मेगावाट क्षमता परियोजनाओं के चयन के लिये अवसर उपलब्ध हैं। परियोजनाओं की स्थापना में पीएम कुसुम योजनान्तर्गत अनुदान प्राप्त करने का विकल्प उपलब्ध होगा। परियोजनाओं को एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड से 7 वर्षों तक 3 प्रतिशत्त ब्याज में छूट का प्रावधान भी किया गया है। वोकल फॉर लोकल के अंतर्गत स्थानीय उद्यमियों के लिए निवेश एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

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