Meghalaya: Get lost in the magic: नॉर्थ ईस्ट का बेहद ही खूबसूरत राज्य मेघालय आजकल राजा रघुवंशी मर्डर केस (Raja Raghuwanshi Murder Case) की वजह से पूरे देश में चर्चाओं के केंद्र में है। 11 मई को राजा संग सात फेरे लेने वाली सोनम रघुवंशी (Sonam Raghuwanshi) 20 मई को दोनों हनीमून के लिए मेघालय रवाना हुए। असम के बाद दोनों मेघालय पहुंचे। इसके बाद 24 जून को प्रेमी और अन्य लोगों के साथ मिलकर पति राजा रघुवंशी की हत्या कर दी। हालांकि मेघालय किसी परिचय का मुहताज नहीं है। इसकी नेचुरल ब्यूटी और कल्चर सदिय़ों से लोगों को लुभाते आ रही है। मेघालय की असली पहचान यहां की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और अनूठी परंपराओं के लिए है। तो चलिए आज हम आपको मेघालय की सैर पर लेकर चलते हैं और भारत के इस पूर्वोत्तर राज्य की अनोखी परंपराएं और प्राकृतिक सुंदरता से रूबरू करवाते हैं।

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मेघालय का मतलबः बादलों का घर

मेघालय का मतलब होता है बादलों का घर। नामा के समान ही (The Abode of Clouds) जैसे ही आप इस राज्य में प्रवेश करेंगे बादल आपका स्वागत करेंगे। एक पल में बारिश दूसरे पल घना कोहरा, इस राज्य की खूबसूरती को और बढ़ाता है। मेघालय में तीन पर्वत ऋंखलाएं हैं- गारो पहाड़ियां, खासी और जैतिया पहाड़ियां, ये तीनों पहाड़ियां सैकड़ों साल पुरानी है। इन पहाड़ियों में गारो पहाड़ियां सबसे कम ऊंची हैं, गारो पहाड़ियां प्रदेश के पश्चिमी भाग् में स्थित हैं। प्रदेश के मध्य में खासी पहाड़ियां हैं, जिनकी सबसे ऊंची चोटी शिलांग चोटी है। इसकी ऊंचाई करीब 200 मीटर है. मेघालय की सबसे उंची चोटी नोकोक है, जो गारो हिल्स में स्थित है।

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मेघालय का इतिहास?

मेघालय का इतिहास सोलहवी शताब्दी से शुरू होता है। 1765 ई. में असम के इस इलाके में ब्रिटिश राज्य अपना अधिकार जमाने लगा था। ईस्ट इंडिया के ब्रिटिश अधिकारी सबसे पहले यहां के खासी लोगों के संपर्क में आए। 1866 में तुरा ( अभी मेघालय) में ब्रिटिश हुकूमत ने अपना ऑफिस बनाया। गारो हिल्स जिले के पहले डिप्टी कमिश्नर के रूप में जिला मुख्यालय के संस्थापक ले विलियम्सन की नियुक्ति हुई। 1899 में ईसाई मिशनरियों के खिलाफ सेने खासी के नाम से ‘खासी पुनरुत्थान आंदोलन शुरू हुआ। उसके कई सालों के बाद 1928 में साइमन कमिशन के आने के बाद खासी नेशनल फ्रंट द्वारा अलग खासी राज्य की मांग की गई।  

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1954 में इस इलाके के लोगों ने अलग राज्य की मांग शुरू की, जिसे राज्य पुनर्गठन आयोग ने अस्वीकार कर दिया। 1960 में ऑल पार्टी हिल लीडर्स कॉन्फ्रेंस का गठन किया गया। 1970 में असम के अंतर्गत मेघालय का गठन एक स्वायत्तशासी राज्य के रूप में किया गया और 1972 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। शिलॉन्ग, जो पहले असम की राजधानी थी, अब मेघालय की राजधानी है। इस राज्य की स्थापना ने खासी, जयंतिया और गारो जनजातियों को अपनी सांस्कृतिक और प्रशासनिक पहचान को संरक्षित करने का अवसर दिया।

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अनोखी परंपरा के लिए पूरे देश में मशहूर

हमारा भारत देश और समाज मातृसत्तात्मक समाज है। इसका मतलब यहां महिलाओं की अपेक्षा परुषों का अधिक अधिकार दिए जाते हैं। घरों में फैसला लेने का अधिकार पुरुष का होता है। वहीं मेघालय देश का एक ऐसा राज्य है, जहां मातृसत्तात्मक समाज (Matrilineal society) है। जहां भारत में शादी के बाद लड़कियां अपने पति के साथ उसके घर में जाती हैं। वहीं मेघालय ऐसा राज्य हैं, जहां लड़के शादी के बाद अपनी पत्नी के घर में शिफ्ट होते हैं। इस राज्य में लोग अपने पिता नहीं बल्कि अपनी मां का सर नेम लगाते हैं। खास बात ये है कि यहां दहेज जैसी कोई प्रथा नहीं है। यहां अरेंज मैरिज कम ही होती है। इस राज्य में सब्जी, मीट या मेडिकल स्टोर महिलाएं ही चलाती हैं। यही नहीं बल्कि शराब की दुकानें भी महिलाएं ही चलाती नजर आती हैं।

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मेघालय के मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन

मेघालय का चेरापूंजी विश्व का सबसे ज्यादा बारिश वाला क्षेत्र है। मेघालय का मासिनराम पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बारिश के लिए जाना जाता है। इन दोनों शहरों में सबसे ज्यादा बारिश होने की वजह ये है कि ये दोनों तीनों तरफ से पहाड़ों से घिरे हुए हैं।  प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर चेरापूंजी में देश भर से टूरिस्ट घूमने आते हैं। चारों तरफ खूबसूरत झरने पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। सेवन सिस्टर वॉटर फॉल जहां एक साथ सात झरने नजर आते हैं। पूरे 9 महीने यहां झरने की आवाज सुनाई देता है। वैसे मेघालय में इतने सारे वॉटर फॉल है कि उसे पार करने के लिए कई जगह ब्रिज बनाए गए हैं। यहां के लोगों पेड़ों की जड़ों और उनके ब्रांच से ये ब्रिज बनाते हैं।

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एलीफेंट फॉल्स (Elephant Falls)

एलीफेंट फॉल्स, जिसे खासी भाषा में ‘का क्षैद लाई पातेंग खोहसिएव’ भी कहा जाता है। ये यहां का मशहूर वॉटर फॉल है। यह झरना अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत परिवेश के लिए जाना जाता है, जो इसे पर्यटकों के लिए लोकप्रिय बनाता है। 
एलीफेंट फॉल्स नाम अंग्रेजों ने दिया था, जिन्होंने झरने के पास हाथी के आकार की एक बड़ी चट्टान देखी थी। 1897 के भूकंप में वह चट्टान नष्ट हो गई, लेकिन झरने का नाम वही बना रहा।

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उमियाम झील Umiam Lake

चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा और आकर्षक सड़कों और पुलों से सुसज्जित, शांत उमियाम झील गुवाहाटी-शिलांग मार्ग को इस क्षेत्र के सबसे मनोरम मार्गों में से एक बनाता है। इस झील का निर्माण साठ के दशक में उमियाम नदी पर एक बांध बनाए जाने के दौरान हुआ था, जो एक जलविद्युत परियोजना का हिस्सा था। उमियाम झील कई लोगों के लिए एक पसंदीदा स्थान बन गई है। इस रास्ते से गुजरते हुए आपको एक अदभुत एहसास होगा।

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मेघालय कैसे जाएं?

मेघालय जाने के लिए अगर आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं, तो राजधानी शिलॉन्ग से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर उमरोई में एयरपोर्ट हैं। जहां से आप टैक्सी बुक करके मेघालय के दूसरे शहरों में जा सकते हैं। उमरोई के अलावा गुवाहाटी एयरपोर्ट भी एक ऑप्शन हैं, जहां से शिलांग की दूरी करीब 128 किलोमीटर है। वहां से शिलांग के लिए आप बस ले सकते हैं या टैक्सी बुक करके भी जा सकते हैं। अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं तो असम के गुवाहाटी में रेलवे स्टेशन हैं जो शिलांग से 105 किलोमीटर दूर है।

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