पिछले दिनों एक खबर आई थी कि पाकिस्तानी फौज के प्रमुख जनरल असीम मुनीर को अमेरिका ने सेना दिवस के मौके पर अमेरिका आने का निमंत्रण दिया है। खबर उड़ी कि मुनीर को व्हाईट हाउस बुलाया गया है। इस खबर ने भारत, पाकिस्तान और वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी थी। हालांकि, अब व्हाईट हाउस ने ऐसी किसी भी निमंत्रण की खबरों का साफ़ खंडन किया है। व्हाईट हाउस के एक अधिकारी ने बयान जारी कर कहा, “यह खबर पूरी तरह गलत है। किसी भी विदेशी सैन्य नेता को इस परेड के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।”

यह परेड अमेरिकी सेना के 250 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही है। 14 जून यानी आज ही संयोगवश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 79वां जन्मदिन भी है। इस आयोजन में लगभग 6,600 सैनिक, 150 सैन्य वाहन, 50 हेलीकॉप्टर, 34 घोड़े, दो खच्चर और एक कुत्ता शामिल होंगे। परेड का मार्ग कॉन्स्टिट्यूशन एवेन्यू पर लिंकन मेमोरियल से शुरू होकर 15वें स्ट्रीट पर समाप्त होगा। इसके अलावा, नेशनल मॉल पर एक दिन भर का उत्सव, सैन्य प्रदर्शन, उपकरण प्रदर्शन, संगीतमय प्रस्तुतियां और एक फिटनेस प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी।

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दक्षिण एशिया में गलत खबरों से उपजा विवाद

गौरतलब है कि 26 लोगों की जान लेने वाले पहलगाम आतंकी हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था। इसके जवाब में भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। इस घटनाक्रम ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। ऐसे में जनरल मुनीर का अमेरिका दौरा भारत के लिए कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से एक बड़ा झटका माना जा रहा था। दूसरी ओर पाकिस्तानी मीडिया में इसके लिए लगातार शेखी बघारी जा रही थी। मुनीर को भारत विरोधी रुख और हाल के पहलगाम आतंकी हमले से पहले भड़काऊ बयानों के लिए जाना जाता है।

दक्षिण एशियाई मीडिया में खबरें थीं कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को इस परेड में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। इन खबरों ने भारत में विवाद को जन्म दिया, जहां इसे एक कूटनीतिक झटके के रूप में देखा गया। रैंड कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने इन अफवाहों की आलोचना करते हुए इसे भारत के लिए “कूटनीतिक झटका” करार दिया।

भारत में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “असीम मुनीर ने दो-राष्ट्र सिद्धांत, हिंदू और मुसलमानों के बारे में भड़काऊ और उत्तेजक बयान दिए थे, और जिनके बयानों का 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई घटना से सीधा संबंध है, उन्हें 14 जून को अमेरिका में विशेष निमंत्रण मिलना समझ से परे है।” हालांकि, व्हाइट हाउस के स्पष्टीकरण के बाद यह साफ हो गया कि ये खबरें आधारहीन थीं।

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जयराम रमेश को लोगों ने घेरना शुरू किया

अब, जब पूरी खबर ही झूठी निकल गई तो सोशल मीडिया पर जयराम रमेश को लोगों ने घेरना शुरू कर दिया। एक के बाद एक कई सोशल मीडिया यूजर्स ने पोस्ट कर कहा कि जयराम रमेश को अपने आलोचनात्मक और झूठे बयान के लिए माफी माँगनी चाहिए।

किसी वरिष्ठ नेता की तरफ से इस तरह की खबरें फैलाना और उसी खबर के आधार पर देश के ही खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपमानजनक टिप्पणी करना उन पर भी कई सवाल खड़े करता है।

जयराम रमेश ने जब पोस्ट किया था तब कॉन्ग्रेस के अन्य नेताओं ने भी भारत के खिलाफ इसी तरह की बयानबाजी की थी। हालाँकि बाद में जो खबर आई वो जयराम के बयान और सोशल मीडिया पर फैली अफवाह से एक रत्ती भी मेल नहीं खा रही है। ऐसे में लोगों का गुस्सा भी जायज है।

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